Adityapur Notice Controversy – आदित्यपुर में जनप्रतिनिधियों ने नगर निगम के आदेश के खिलाफ खोला मोर्चा
आदित्यपुर नगर निगम का आदेश विवादों में, निवर्तमान जनप्रतिनिधियों ने इसे बताया तुगलकी फरमान। जानिए पूरा मामला।
सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर नगर निगम में इन दिनों विवादों की लहर है। निगम के एक हालिया आदेश ने क्षेत्र के निवर्तमान जनप्रतिनिधियों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। निगम के प्रशासक रवि प्रकाश द्वारा जारी किए गए एक नोटिस के अनुसार, सभी निवर्तमान जनप्रतिनिधियों को अपने-अपने वार्डों में निर्मित सामुदायिक भवन और वार्ड विकास केंद्र की चाबियां तत्काल नगर निगम कार्यालय में जमा करनी होंगी। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
इस आदेश ने जनप्रतिनिधियों में असंतोष की आग भड़का दी है। कई निवर्तमान पार्षदों ने इसे "तुगलकी फरमान" करार दिया है। उनका कहना है कि निगम प्रशासन को पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि किस वार्ड में सामुदायिक भवन और वार्ड विकास केंद्र बनाए गए हैं और चाबियां किसके पास हैं। कुछ वार्डों में तो अभी वार्ड विकास केंद्र भी पूरी तरह नहीं बने हैं। इसके बावजूद, सभी 35 वार्डों के निवर्तमान पार्षदों, मेयर और उपमहापौर को सार्वजनिक रूप से नोटिस जारी कर दिया गया।
क्या है सामुदायिक भवन और वार्ड विकास केंद्र?
सामुदायिक भवन और वार्ड विकास केंद्र का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन और क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करना है। ये भवन स्थानीय निवासियों के लिए सरकारी योजनाओं, बैठकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए बनाए गए हैं।
निगम का आदेश क्यों विवादित?
निगम प्रशासन द्वारा जारी नोटिस को लेकर निवर्तमान पार्षदों का कहना है कि आदेश बिना उचित जांच के जारी किया गया है। कई वार्डों में अभी भवनों का पूरा निर्माण भी नहीं हुआ है, वहीं कुछ वार्डों में चाबियां पहले से ही निगम के पास हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि नोटिस जारी करने से पहले व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया जाना चाहिए था।
जनप्रतिनिधियों का विरोध क्यों?
- जनप्रतिनिधियों की नाराजगी: आदेश को लेकर निवर्तमान पार्षदों ने इसे अपमानजनक बताया है।
- सार्वजनिक नोटिस पर आपत्ति: सभी 35 वार्डों के निवर्तमान पार्षदों को एक साथ नोटिस जारी करना विवाद का मुख्य कारण बना।
- कानूनी कार्रवाई की धमकी: नोटिस में कानूनी कार्रवाई की चेतावनी ने तनाव बढ़ा दिया।
जनप्रतिनिधियों की अगली रणनीति
पूर्व पार्षदों ने इस आदेश के खिलाफ गोलबंदी शुरू कर दी है। उन्होंने उपायुक्त से शिकायत करने और आदेश को वापस लेने की मांग उठाई है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे संगठित रूप से आंदोलन छेड़ सकते हैं।
आदित्यपुर नगर निगम का इतिहास
आदित्यपुर नगर निगम, झारखंड का एक महत्वपूर्ण नगर निकाय है, जो 2015 में नगर परिषद से नगर निगम में परिवर्तित हुआ था। यह क्षेत्र अपनी औद्योगिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है।
आदित्यपुर में निगम का यह आदेश स्थानीय राजनीति में हलचल मचा चुका है। जनप्रतिनिधियों की मांग है कि नोटिस को वापस लिया जाए और उचित जांच के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए। इस मामले में क्या निर्णय लिया जाएगा, यह देखना बाकी है।
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