Train Cancellation: ट्रेनें रद्द होने से यात्रियों में रोष, फरवरी तक बढ़ा रेल परिचालन का संकट
किऊल-गया रेलखंड की चार जोड़ी ट्रेनें 28 फरवरी तक रद्द। महाकुंभ मेले के लिए प्रयागराज में रैक भेजे जाने से रेल यात्री परेशान। यात्रियों की सहूलियत के लिए अब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं।
नवादा जिले के रेल यात्रियों के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं है। किऊल-गया रेलखंड पर चार जोड़ी ट्रेनों का परिचालन 28 फरवरी तक रद्द कर दिया गया है। यह निर्णय महाकुंभ मेले के लिए प्रयागराज में रैक भेजे जाने के कारण लिया गया, जिससे इस रेलखंड के यात्रियों की समस्याएं बढ़ गई हैं।
महाकुंभ मेले का असर और यात्री परेशान
महाकुंभ मेले के लिए प्रयागराज में रैक भेजे जाने से रेल परिचालन पर असर पड़ा है। इससे पहले भी, गया जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 6 और 7 के पुनर्विकास कार्य के कारण 24 नवंबर से 7 जनवरी तक मेगा ब्लॉक लागू था। इस ब्लॉक के चलते यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। लेकिन अब जब ब्लॉक खत्म हुआ, तो यात्रियों को राहत मिलने के बजाय चार जोड़ी ट्रेनों के परिचालन को फिर से 28 फरवरी तक के लिए रद्द कर दिया गया।
कौन-कौन सी ट्रेनें रद्द?
रेलवे प्रशासन द्वारा जिन ट्रेनों का परिचालन रद्द किया गया है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- झाझा-गया पैसेंजर (53631)
- गया-झाझा पैसेंजर (53632)
- गया-किऊल पैसेंजर (53634)
- किऊल-गया पैसेंजर (53635)
- जमालपुर-गया फास्ट पैसेंजर (53615)
- गया-जमालपुर फास्ट पैसेंजर (53616)
इन ट्रेनों के रद्द होने से तिलैया, नवादा, वारिसलीगंज, काशीचक और शेखपुरा जैसे स्थानों के दैनिक यात्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
इतिहास में ऐसे निर्णयों का प्रभाव
रेलवे के इतिहास में इस तरह के निर्णय अक्सर यात्रियों के लिए कष्टकारी साबित हुए हैं। महाकुंभ मेले जैसे बड़े आयोजनों के दौरान रैक की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती बन जाती है। पहले भी 2019 के कुंभ मेले के दौरान, उत्तर रेलवे ने कई ट्रेनों का परिचालन बंद किया था, जिससे यात्री काफी परेशान हुए थे। इस बार भी इतिहास दोहराया जा रहा है, और यात्रियों को सुविधाजनक यात्रा के विकल्प न देकर समस्याओं में डाल दिया गया है।
यात्रियों की नाराजगी
नवादा और आसपास के क्षेत्र में दैनिक यात्रियों की सबसे बड़ी समस्या है समय पर गंतव्य तक न पहुंच पाना। सरकारी कर्मचारी, व्यापारी और छात्र-छात्राएं इस फैसले से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। नियमित रूप से यात्रा करने वाले यात्रियों का कहना है कि रेलवे प्रशासन ने इतने लंबे समय तक ट्रेनों को रद्द रखने का निर्णय लेते समय यात्रियों की सहूलियत को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
एक यात्री का कहना:
"हर दिन काम पर जाने में देरी हो रही है। अगर ट्रेनें नहीं चल रही हैं, तो कम से कम बस सेवा या अन्य वैकल्पिक साधन मुहैया कराना चाहिए।"
रेलवे प्रशासन की चुप्पी
रेलवे प्रशासन की ओर से इस बारे में कोई ठोस बयान नहीं आया है। अधिकारियों का कहना है कि रैक की कमी के चलते यह निर्णय लिया गया है। लेकिन यात्रियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था न करना, रेलवे की लापरवाही को दर्शाता है।
आगे की उम्मीदें
रेलवे यात्रियों को उम्मीद है कि फरवरी के अंत तक यह समस्या सुलझ जाएगी और किऊल-गया रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन सामान्य हो जाएगा। यात्रियों का कहना है कि यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे उच्च स्तर पर अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे।
किऊल-गया रेलखंड पर ट्रेनों के रद्द होने से यात्रियों को हो रही असुविधा ने रेलवे प्रशासन की तैयारी और प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। महाकुंभ जैसे आयोजनों के लिए ट्रेनों की व्यवस्था करना जरूरी है, लेकिन यात्रियों की सुविधा को नजरअंदाज करना उचित नहीं। अब देखना यह होगा कि रेलवे प्रशासन इस समस्या का समाधान कब तक करता है।
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