Saraikela Scam: सरकारी अनाज पर खेल, गोदाम में भरा अनाज फिर भी डीलर तक नहीं पहुँच रहा!
सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड में सरकारी अनाज का बड़ा खेल! डीएसडी की मनमानी से डीलरों तक नहीं पहुँच रहा राशन, जनता हो रही परेशान। क्या होगी कार्रवाई?

सरायकेला : सरकारी अनाज का उठाव हो, डीलरों तक पहुंचे और जनता को समय पर राशन मिले—इसी मकसद से डीएसडी (डोर स्टेप डिलीवरी) सिस्टम लागू किया गया था। लेकिन अगर वही डीएसडी लापरवाह हो जाए, तो सबसे बड़ा नुकसान जनता को ही उठाना पड़ता है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला झारखंड के सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड में सामने आया है, जहां गोदाम अनाज से भरा है, लेकिन डीएसडी की मनमानी के कारण राशन डीलरों तक समय पर नहीं पहुँच रहा।
क्यों हो रही है राशन की देरी?
सरकार के नियम के अनुसार, प्रत्येक प्रखंड में डीएसडी को पर्याप्त गाड़ियों से अनाज डीलरों तक पहुंचाना होता है। गम्हरिया प्रखंड के लिए यह जिम्मेदारी विनोद प्रधान नामक डीएसडी संवेदक को सौंपी गई है, जिनके पास 16 गाड़ियां अनाज सप्लाई के लिए आवंटित हैं। लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है!
16 गाड़ियों की जगह केवल 3 गाड़ियां चल रही हैं।
गाड़ियों में जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक कांटा नहीं है।
गोदाम से अनाज उठाने के बाद वजन धर्म कांटा में किया जाता है, जो नियम के खिलाफ है।
डीलरों तक अनाज पहुँचाने की बजाय उसे जानबूझकर रोका जा रहा है।
अगर कोई डीलर विरोध करता है, तो उसे धमकी दी जाती है।
सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार क्यों?
इतनी गड़बड़ियों के बावजूद न ही एमओ (मार्केटिंग ऑफिसर) को इसकी खबर है, न ही विभाग के बड़े बाबुओं को! सवाल यह उठता है कि जब गाड़ियां कम चलाई जा रही हैं, अनाज डीलरों तक नहीं पहुँच रहा, तो इसकी मॉनिटरिंग कौन कर रहा है?
इतिहास में देखें तो झारखंड में सरकारी अनाज वितरण में धांधली कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई बार राशन घोटाले सामने आए हैं। लेकिन हर बार सरकार और प्रशासन की सुस्ती की वजह से यह खेल जारी रहता है।
डीएसडी की मनमानी – कौन है जिम्मेदार?
जब हमारी टीम ने इस मामले की जांच की और डीएसडी विनोद प्रधान से बात की, तो उनका कहना था कि वह पिछले 3 महीने से बीमार चल रहे थे। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर डीएसडी बीमार है, तो क्या पूरे प्रखंड की जनता को राशन नहीं मिलेगा?
डीएसडी की ताकत – ऊपर तक पकड़?
सूत्रों के मुताबिक, डीएसडी विनोद प्रधान की ऊपर तक सीधी पहुँच है। इसीलिए, चाहे अनाज वितरण में देरी हो, नियमों की धज्जियां उड़ाई जाएं, या डीलरों को धमकाया जाए – विभाग के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते!
प्रशासन की प्रतिक्रिया – अब होगी कार्रवाई?
जब इस मामले को लेकर सीओ सह प्रभारी एमओ कुमार अरविंद बेदिया से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए मिली है और डीएसडी को जल्द ही शोकॉज नोटिस भेजा जाएगा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित रहेगी, या वास्तव में सरकारी अनाज लूटने वाले इस खेल पर रोक लगेगी?
क्या अब मिलेगा गरीबों को उनका हक?
सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड में हजारों गरीब परिवार इस सरकारी राशन पर निर्भर हैं। अगर डीएसडी की लापरवाही और प्रशासन की सुस्ती ऐसे ही जारी रही, तो जनता को अपने अधिकार के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा।
क्या होगा आगे?
क्या सरकार इस भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करेगी?
क्या गरीब जनता को उनका हक मिलेगा?
डीएसडी की ऊँची पहुँच के आगे प्रशासन झुकेगा या सख्त कदम उठाएगा?
अब देखना यह होगा कि यह सिर्फ एक खबर बनकर रह जाती है या सरकार इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करती है!
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