Saraikela Breakthrough: कुचाई में गौ तस्करी का बड़ा रैकेट बेनकाब, 40 जोड़ी बैल जब्त और चार तस्कर हिरासत में

सरायकेला पुलिस ने कुचाई में गौ तस्करी के बड़े रैकेट का खुलासा किया। 40 जोड़ी बैल जब्त और चार तस्करों को हिरासत में लिया गया। ऑपरेशन ने तस्करों और मुखबिरों में हड़कंप मचा दिया।

Dec 13, 2024 - 10:08
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Saraikela Breakthrough: कुचाई में गौ तस्करी का बड़ा रैकेट बेनकाब, 40 जोड़ी बैल जब्त और चार तस्कर हिरासत में
Saraikela Breakthrough: कुचाई में गौ तस्करी का बड़ा रैकेट बेनकाब, 40 जोड़ी बैल जब्त और चार तस्कर हिरासत में

सरायकेला: झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में पुलिस ने गौ तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। गुरुवार रात को एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) की टीम ने कुचाई थाना क्षेत्र में ऑपरेशन चलाते हुए 40 जोड़ी बैलों को तस्करी से बचाया। यह कार्रवाई इतनी गोपनीय थी कि स्थानीय पुलिस को भी इसकी भनक नहीं लग सकी।

ऑपरेशन के सफल होने के बाद एसटीएफ ने बैल और चार संदिग्ध तस्करों को कुचाई थाना प्रभारी को सौंप दिया। हालांकि, अधिकारियों ने अभी तक इनकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

कैसे चलता था रैकेट?

सूत्रों के अनुसार, तस्करों का नेटवर्क पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर से शुरू होकर सरायकेला के कुचाई और खरसावां के ग्रामीण इलाकों से गुजरते हुए बंगाल तक फैला हुआ था। तस्करी के लिए इन रास्तों का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा था।

इस रैकेट का संचालन बेहद संगठित तरीके से होता था। इसमें स्थानीय ग्रामीणों का इस्तेमाल मुखबिरों और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट के रूप में किया जाता था। सरगनाओं ने खुद को पर्दे के पीछे रखा और अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए स्थानीय स्तर पर लोगों को प्रलोभन देकर इस अवैध धंधे में शामिल किया।

इतिहास: झारखंड में गौ तस्करी का मुद्दा

झारखंड लंबे समय से गौ तस्करी के केंद्र के रूप में बदनाम है। खासकर पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों से सटे इलाकों में यह समस्या गंभीर रही है। गौ तस्करी न केवल एक सामाजिक और धार्मिक मुद्दा है बल्कि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध व्यापार के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की भूमिका भी रहती है।

क्या कहती है पुलिस?

एसटीएफ के इस ऑपरेशन ने पूरे पुलिस महकमे में हलचल मचा दी है। एसपी मुकेश कुमार लुणायल के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई को बड़ी सफलता माना जा रहा है। हालांकि, इस मामले के मुख्य सरगना का अब तक पता नहीं चल सका है।

कुचाई पुलिस अब तस्करों से पूछताछ कर रही है ताकि रैकेट के पीछे के असली मास्टरमाइंड का पता लगाया जा सके।

गोपनीयता और सफलता

एसटीएफ की रणनीति में गोपनीयता ने बड़ी भूमिका निभाई। स्थानीय पुलिस को ऑपरेशन के दौरान सूचित न करना इस बात का संकेत देता है कि तस्करों और मुखबिरों के बीच गहरे संबंध हैं। कार्रवाई के बाद से ही तस्करों और उनके सहयोगियों में हड़कंप मचा हुआ है।

प्रमुख बिंदु

  • 40 जोड़ी बैल जब्त: बैलों को तस्करी के लिए ले जाया जा रहा था।
  • चार तस्कर हिरासत में: संदिग्धों से पूछताछ जारी है।
  • ग्रामीण रास्तों का इस्तेमाल: तस्करों ने मुख्य सड़कों से बचने के लिए ग्रामीण मार्गों का सहारा लिया।
  • मुखबिरों का प्रबंधन: स्थानीय लोगों और मुखबिरों को प्रलोभन देकर शामिल किया गया।

भविष्य के लिए क्या उम्मीदें?

यह ऑपरेशन झारखंड में गौ तस्करी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, पुलिस पर अब यह जिम्मेदारी है कि वह इस रैकेट के सरगनाओं को पकड़ने और उनके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने में सफल हो।

सरायकेला पुलिस की यह कार्रवाई न केवल कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी जीत है बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह संगठित अपराध को रोकने के लिए गोपनीयता और त्वरित कार्रवाई जरूरी है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पुलिस इस रैकेट के मुख्य कर्ता-धर्ता तक पहुंचने में कामयाब होती है या मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।

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