Saraikela Accident: बाइक की सीधी टक्कर से उड़े होश, CRPF कैंप के पास मचा हड़कंप
सरायकेला-कांड्रा मार्ग पर दुगनी सीआरपीएफ कैंप के पास दो बाइक सवारों के बीच आमने-सामने की जबरदस्त टक्कर से इलाके में सनसनी फैल गई। कैलाश महतो गंभीर रूप से घायल, अस्पताल में भर्ती। पढ़िए पूरी घटना की इनसाइड स्टोरी।

सरायकेला, झारखंड: शनिवार की सुबह का वक्त था, जब लोग अपने-अपने काम में व्यस्त थे। तभी सरायकेला-कांड्रा मार्ग पर दुगनी स्थित सीआरपीएफ कैंप के समीप ऐसा हादसा हुआ जिसने सभी को चौंका दिया। दो तेज रफ्तार बाइकों की आमने-सामने की भिड़ंत ने सड़क पर कोहराम मचा दिया।
इस भयानक टक्कर में चक्रधरपुर निवासी कैलाश महतो (38) और राजखरसावां के राशन तालिया निवासी सहदेव महतो (37) गंभीर रूप से घायल हो गए। आसपास मौजूद लोगों ने जब सड़क पर दोनों को गिरा देखा, तो तत्काल रोड एंबुलेंस की मदद से उन्हें सरायकेला सदर अस्पताल पहुंचाया गया।
कैसे हुआ हादसा? कौन किस ओर जा रहा था?
घटनास्थल से मिली जानकारी के अनुसार, कैलाश महतो अपनी बाइक से कांड्रा की ओर जा रहे थे। वहीं सहदेव महतो सरायकेला की दिशा से विपरीत मार्ग में आ रहे थे। जब दोनों दुगनी के सीआरपीएफ कैंप के समीप पहुंचे, तब दोनों की बाइकों की रफ्तार इतनी तेज थी कि ब्रेक लगाने का मौका भी नहीं मिला और सीधी भिड़ंत हो गई।
कैलाश महतो के हाथ में गहरी चोटें आई हैं, जबकि सहदेव महतो को हल्की चोटें लगी हैं। फिलहाल दोनों का इलाज चल रहा है और डॉक्टरों की निगरानी में हैं।
क्या था सड़क पर हालात का कारण?
सरायकेला-कांड्रा मार्ग झारखंड के उन रूट्स में से एक है, जहां ट्रैफिक दिन-रात चलता रहता है। खासकर सीआरपीएफ कैंप के पास का क्षेत्र हमेशा हलचल में रहता है। इस रूट पर ओवरस्पीडिंग और सिंगल लेन ट्रैफिक अकसर दुर्घटनाओं को जन्म देता है।
पिछले एक दशक में इस मार्ग पर दर्जनों सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें से कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है। बावजूद इसके, अब तक इस मार्ग पर सड़क सुरक्षा उपायों में कोई ठोस सुधार नहीं किया गया है।
राहगीरों ने बताया डरावना मंजर
हादसे के वक्त वहां मौजूद कुछ राहगीरों ने बताया कि टक्कर इतनी जोरदार थी कि हेलमेट पहनने के बावजूद दोनों बाइक सवार जमीन पर दूर जा गिरे। कुछ पल के लिए तो लोग समझ ही नहीं पाए कि क्या हुआ है। आसपास मौजूद लोगों ने तत्परता दिखाते हुए एंबुलेंस को बुलाया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया।
प्रशासन कब जागेगा?
हर बार की तरह इस बार भी हादसे के बाद प्रशासन और पुलिस ने मुआयना तो किया, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार कुछ बदलेगा? क्या स्पीड कंट्रोल और रोड डिवाइडर जैसे बेसिक सेफ्टी उपाय लगाए जाएंगे?
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दो-तीन महीने में इस रूट पर कोई न कोई हादसा होता है। लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है।
इतिहास गवाह है: यह रोड खतरे से खाली नहीं
यदि हम पिछले कुछ वर्षों के रिकॉर्ड्स देखें, तो सरायकेला-कांड्रा मार्ग को हमेशा एक "हाई रिस्क जोन" माना गया है। ट्रक, बाइक, ऑटो – सभी इस रूट पर रफ्तार के साथ दौड़ते हैं। खासकर दुगनी के आसपास, जहां सीआरपीएफ कैंप है, वहां ट्रैफिक का दवाब ज्यादा रहता है।
सरायकेला जिला प्रशासन और पुलिस को चाहिए कि इस सड़क को लेकर अलग से रोड सेफ्टी प्लान तैयार करें, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को टाला जा सके।
जान है तो जहान है
आज का हादसा एक बार फिर हमें याद दिलाता है कि सड़क पर एक पल की लापरवाही जानलेवा हो सकती है। जरूरत है कि हम खुद भी ट्रैफिक नियमों का पालन करें और प्रशासन से मांग करें कि खतरनाक मार्गों पर तत्काल सुरक्षा उपाय किए जाएं।
क्या इस बार प्रशासन कुछ ठोस कदम उठाएगा? या एक और हादसे के इंतजार में हम बस अफसोस करते रहेंगे? जवाब आने वाला वक्त देगा।
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