Jharkhand Politics : रघुवर दास की भाजपा में वापसी, झारखंड की राजनीति में नए समीकरण
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भाजपा में फिर से शामिल होंगे। जानें, उनकी वापसी से झारखंड की राजनीति में क्या बदलाव हो सकते हैं।
रांची, 26 दिसंबर: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास एक बार फिर भाजपा में सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनने जा रहे हैं। 27 दिसंबर को रांची स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में वह औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता लेंगे। इस खबर ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है, क्योंकि उनके लौटने से झारखंड में भाजपा के समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।
भाजपा में वापसी: क्या है संदेश?
रघुवर दास के रांची में ही सदस्यता लेने का फैसला बेहद रणनीतिक माना जा रहा है। इससे झारखंड के कार्यकर्ताओं और जनता को यह संकेत देने की कोशिश हो रही है कि उनकी राजनीति का केंद्र झारखंड ही रहेगा।
फरवरी 2024 में झारखंड भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन होना है। चर्चा है कि रघुवर दास को यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। वहीं, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है।
राजनीति में वापसी का समय और वजह
भाजपा नेतृत्व ने रघुवर दास को झारखंड की राजनीति में सक्रिय करने का निर्णय काफी सोच-समझकर लिया है। उनके इस्तीफे का समय भी बेहद महत्वपूर्ण है। झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी वापसी को लेकर कई अटकलें थीं, लेकिन आलाकमान ने तय किया कि यह कदम चुनाव परिणामों के बाद ही उठाया जाएगा।
रघुवर दास राज्य के सबसे बड़े ओबीसी नेता माने जाते हैं। भाजपा की रणनीति के मुताबिक, उनकी वापसी पार्टी को ओबीसी और दलित वोट बैंक मजबूत करने में मदद करेगी। बीते चुनाव में आदिवासी वोटरों के नकारे जाने के बाद भाजपा अब सोशल इंजीनियरिंग पर जोर दे रही है।
भाजपा के लिए क्यों जरूरी हैं रघुवर दास?
रघुवर दास झारखंड भाजपा के एक मजबूत चेहरे हैं। वह राज्य के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री रहे हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने झारखंड में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की थीं।
हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को आदिवासी वोटों में गिरावट का सामना करना पड़ा। ऐसे में पार्टी को अब गैर-आदिवासी वोटरों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। रघुवर दास की वापसी पार्टी को ओबीसी और दलित समुदायों में नए सिरे से जगह बनाने में मदद कर सकती है।
रघुवर दास की राजनीति का सफर
- रघुवर दास का जन्म 1955 में जमशेदपुर में हुआ था।
- वह 2005 से 2019 तक झारखंड विधानसभा के सदस्य रहे।
- 2014 में उन्होंने राज्य के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला।
- 2019 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद उन्हें ओडिशा का राज्यपाल बनाया गया।
- अब, दोबारा भाजपा में सक्रिय भूमिका निभाने की तैयारी है।
झारखंड भाजपा की रणनीति
भाजपा अब झारखंड में अपने राजनीतिक समीकरणों को फिर से मजबूत करना चाहती है। आदिवासी वोटों में गिरावट के बाद पार्टी ने ओबीसी और दलित वोटरों को साधने का मन बनाया है। रघुवर दास जैसे नेता की वापसी भाजपा के इस प्रयास को नया आयाम देगी।
क्या बदलाव ला सकती है यह वापसी?
रघुवर दास की वापसी से झारखंड भाजपा में नेतृत्व को लेकर नए समीकरण बन सकते हैं। उनके अनुभव और लोकप्रियता का इस्तेमाल पार्टी 2024 के चुनावों में कर सकती है।
रघुवर दास की भाजपा में वापसी झारखंड की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है। उनकी वापसी से भाजपा को ओबीसी और दलित वोट बैंक में मजबूती मिलेगी। अब देखने वाली बात यह है कि वह प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते हैं या किसी और भूमिका में नजर आते हैं।
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