Ranchi Clash: होलिका दहन के दौरान दो गुटों में हिंसक झड़प, मारपीट और पथराव से मचा हड़कंप!
रांची के डिपाटोली में होलिका दहन के दौरान दो पक्षों में जमकर विवाद! जातिसूचक गालियों, पथराव और मारपीट से इलाके में मचा हड़कंप। पढ़ें पूरी खबर।

रांची के पुंदाग ओपी क्षेत्र के डिपाटोली में होलिका दहन की रात जश्न के बजाय हिंसा का माहौल बन गया। 13 मार्च की रात दो पक्षों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मामला जातिसूचक गालियों, पथराव और मारपीट तक पहुंच गया।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
वार्ड 36 के पूर्व पार्षद झरी लिंडा की पत्नी रजनी लिंडा ने थाने में दर्ज शिकायत में बताया कि रात 9:30 बजे कुछ लोग होलिका दहन के दौरान झगड़ा कर रहे थे। जब उन्होंने शांति बनाने की कोशिश की, तो प्रदीप साहु, प्रीतम साहु, प्रभात साहु और प्रत्युष साहु ने गाली-गलौज शुरू कर दी।
आरोप है कि प्रदीप साहु ने उनका हाथ पकड़कर अभद्र व्यवहार किया और गाली दी। फिर समूह ने मिलकर मारपीट की और उनकी सोने की चेन छीन ली।
रात में अचानक हुआ पथराव, घर में घुसकर हमला!
इसी विवाद का दूसरा पहलू लीला देवी के परिवार की शिकायत में सामने आया। उन्होंने आरोप लगाया कि रात 10 बजे उनके बेटे प्रत्युष कुमार और प्रेम लिंडा के बीच कहासुनी हुई थी। ग्रामीणों ने दोनों को समझाकर घर भेज दिया, लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ।
कुछ ही देर बाद वार्ड 36 के पूर्व पार्षद झरी लिंडा, उनकी पत्नी रजनी लिंडा, सोनू लिंडा, प्रेम लिंडा और 100-150 लोगों की भीड़ उनके घर पर हमला करने पहुंच गई।
ग्रामीणों के अनुसार, हमलावरों ने घर पर पथराव किया, जिससे लोग दहशत में आ गए और घर के अंदर छिपने को मजबूर हो गए। लेकिन भीड़ में से कुछ लोग बाउंड्री फांदकर घर के अंदर घुस गए और मारपीट शुरू कर दी।
लीला देवी ने आरोप लगाया कि उनके बेटे का सिर फोड़ दिया गया और उनके साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया।
इलाके में दहशत, पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई का आरोप!
हमले के बाद इलाके में तनाव फैल गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई शुरू की, लेकिन इससे एक पक्ष नाराज हो गया।
लीला देवी के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सिर्फ उनके घर से रामधनी महतो और उनके तीन बेटों प्रदीप, प्रत्युष और प्रीतम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जबकि दूसरे पक्ष से किसी को नहीं पकड़ा।
क्या कहती है रांची की होलिका दहन परंपरा?
रांची और झारखंड में होलिका दहन की परंपरा हमेशा से उत्सव और भाईचारे की रही है। लेकिन पिछले कुछ सालों में इस दौरान हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।
होली को रंगों और उल्लास का त्योहार कहा जाता है, लेकिन डिपाटोली में इस साल यह त्योहार नफरत और झगड़े की भेंट चढ़ गया।
अब उठ रहे हैं ये सवाल…
- क्या पुलिस इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करेगी?
- क्या हर साल होलिका दहन पर होने वाले विवादों को रोकने के लिए प्रशासन कोई कदम उठाएगा?
- क्या धार्मिक पर्वों के दौरान हिंसा रोकने के लिए कोई ठोस नियम बनाए जाएंगे?
रांची का यह विवाद बताता है कि किस तरह त्योहारों पर भी तनाव पैदा किया जा सकता है। अगर प्रशासन और पुलिस समय रहते सतर्क हो जाए, तो ऐसे विवादों को रोका जा सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई करती है या फिर यह मामला भी दूसरी घटनाओं की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
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