Jharkhand High Court: हाईकोर्ट ने सरकार पर लगाया जुर्माना, 166 करोड़ की औद्योगिक सब्सिडी पर सुनवाई में हुई देरी!

रांची में झारखंड हाईकोर्ट ने 166 करोड़ की औद्योगिक सब्सिडी के भुगतान मामले में राज्य सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया। जानें इस मामले की पूरी कहानी।

Jan 11, 2025 - 10:50
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Jharkhand High Court: हाईकोर्ट ने सरकार पर लगाया जुर्माना, 166 करोड़ की औद्योगिक सब्सिडी पर सुनवाई में हुई देरी!
Jharkhand High Court: हाईकोर्ट ने सरकार पर लगाया जुर्माना, 166 करोड़ की औद्योगिक सब्सिडी पर सुनवाई में हुई देरी!

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि सरकार ने बार-बार समय मांगा और औद्योगिक सब्सिडी के मामले में देरी की। यह मामला 166 करोड़ रुपये की औद्योगिक सब्सिडी के भुगतान को लेकर दायर याचिका से संबंधित है। अदालत ने राज्य सरकार की ओर से लगातार समय मांगने पर नाराजगी व्यक्त की और इसे गंभीरता से लिया।

क्या है मामला?

यह मामला डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड की ओर से दायर किया गया था, जिसमें 166 करोड़ रुपये की औद्योगिक सब्सिडी के भुगतान की मांग की गई थी। याचिका के अनुसार, पिछले एक साल से यह मामला अदालत में लंबित था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर स्थगन (अवकाश) मांगा गया। अदालत ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के रवैये पर सवाल उठाए।

अदालत के जस्टिस गौतम कुमार चौधरी ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार ने पहले कहा था कि महाधिवक्ता के स्वास्थ्य कारणों से वे अदालत में उपस्थित नहीं हो सके और अब यह कहा जा रहा है कि मामलों पर बहस करनेवाले अधिवक्ता बाहर हैं। अदालत ने इसे विरोधाभासी बयान करार देते हुए राज्य सरकार पर जुर्माना लगाया।

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि बार-बार स्थगन और समय मांगने से यह प्रतीत होता है कि राज्य सरकार गंभीर नहीं है। इससे पहले अदालत ने राज्य सरकार को 6 दिसंबर 2024 को स्थगन की अनुमति दी थी, लेकिन अब यह स्थिति सामने आई कि महाधिवक्ता की अनुपस्थिति के कारण अदालत में बहस नहीं हो पा रही है। अदालत ने इसे उचित नहीं माना और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही, जुर्माने की राशि झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में जमा करने का आदेश दिया।

क्या होगी अगली सुनवाई?

झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी 2025 को निर्धारित की है। अदालत ने इस समय तक राज्य सरकार से इस मामले पर अपने पक्ष को स्पष्ट करने को कहा है। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे स्थगन और समय की मांग से अदालत में कोई सहमति नहीं होगी, और राज्य सरकार को इस मामले को शीघ्र निपटाने की जिम्मेदारी निभानी होगी।

क्या है इस मामले की महत्वता?

इस मामले की महत्वता इस कारण भी है क्योंकि यह राज्य सरकार के प्रशासनिक कामकाज और कोर्ट में पेश होने के तरीके पर सवाल उठाता है। औद्योगिक सब्सिडी का भुगतान न केवल कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे राज्य के औद्योगिक विकास में भी मदद मिल सकती है। लेकिन जब सरकार बार-बार समय मांगती है, तो इससे अदालत का समय नष्ट होता है और मामले की सुनवाई में देरी होती है।

क्या है राज्य सरकार का पक्ष?

राज्य सरकार ने अपनी तरफ से यह कहा कि गवर्नमेंट एडवोकेट-तृतीय को इस मामले पर बहस करनी थी, लेकिन वह किसी व्यक्तिगत कारण से शहर से बाहर हैं, जिस कारण से राज्य सरकार को स्थगन की आवश्यकता पड़ी। हालांकि, अदालत ने इस तर्क को नकारते हुए सरकार पर जुर्माना लगाया और इस देरी को अनावश्यक करार दिया।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।