Ranchi Conference Insights: नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में शोध से सतत विकास पर मंथन

नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में शोधकर्ताओं ने सतत विकास और नवाचार पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। जानिए कैसे शोध ज्ञान को बढ़ावा देकर समाज को नई दिशा दे रहा है।

Dec 20, 2024 - 18:26
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Ranchi Conference Insights: नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में शोध से सतत विकास पर मंथन
Ranchi Conference Insights: नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में शोध से सतत विकास पर मंथन

रांची स्थित नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय में 20 दिसंबर 2024 को सतत विकास के लिए बहु-वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज हुआ। इस सम्मेलन ने न केवल शोध के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि इसमें प्रस्तुत किए गए शोधपत्रों ने भविष्य की संभावनाओं को लेकर नई दिशा दी।

शोध का ऐतिहासिक महत्व

शोध का इतिहास इंसान के जिज्ञासा से भरे स्वभाव का प्रमाण है। प्राचीन काल से ही ज्ञान के नए आयामों को खोजने का प्रयास किया गया है। वैज्ञानिक सी.वी. रमन का प्रसिद्ध कथन, "सही प्रश्न पूछिए, और प्रकृति अपने रहस्यों का द्वार खोल देगी," शोध की इस परंपरा को और अधिक सशक्त बनाता है।

नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के इस राष्ट्रीय सम्मेलन ने इसी भावना को ध्यान में रखते हुए देशभर से आए 100 से अधिक प्रतिभागियों को एक मंच प्रदान किया।

सम्मेलन का शुभारंभ

कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति प्रो. डॉ. पी.के. पाणि, प्रतिकुलपति प्रो. डॉ. आचार्य ऋषि रंजन और अन्य प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति में दीप प्रज्वलन और गणेश वंदना के साथ हुई। इस अवसर पर प्रो. पाणि ने कहा, "शोधपत्र न केवल ज्ञान को बढ़ावा देते हैं, बल्कि नई सोच और नवाचार को भी जन्म देते हैं।"

मुख्य वैज्ञानिक डॉ. मनीष कुमार झा ने खनिज संसाधनों के संरक्षण और उनके वैश्विक प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विकसित देश विकासशील देशों के संसाधनों का दोहन कर अपने भविष्य को सुरक्षित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "शोध के माध्यम से विकसित देश न केवल नए आपूर्तिकर्ताओं की खोज करते हैं, बल्कि अपने खनिज संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित करते हैं।"

प्रतिभागियों के प्रेरणादायक विचार

विशिष्ट अतिथि सौरभ स्नेहव्रत, सह प्राध्यापक, एक्सएलआरआई ने कहा, "शोध किसी भी विषय को गहराई से समझने और उसके अनछुए पहलुओं को उजागर करने का माध्यम है।" उन्होंने सतत विकास की दिशा में शोध की अहमियत पर जोर दिया।

प्रतिभागियों का उत्साह

पहले दिन के सत्र में कुल 100 प्रतिभागियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। हर एक शोधपत्र ने सतत विकास और नवाचार पर नई दृष्टि प्रदान की। शोधकर्ताओं ने कृषि, ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण, और सामाजिक विकास जैसे विषयों पर गहन अध्ययन प्रस्तुत किया।

शोध और सतत विकास

सतत विकास पर आधारित इस सम्मेलन ने यह स्पष्ट किया कि शोध केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के लिए नई राहें खोलने का उपकरण है। शोध का उद्देश्य केवल समस्याओं को उजागर करना नहीं, बल्कि उनके समाधान को खोजने का प्रयास भी है।

भविष्य की संभावनाएं

इस कार्यक्रम में शोध विभाग के अधिष्ठाता प्रो. डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, कला एवं मानविकी विभाग के अधिष्ठाता प्रो. डॉ. एस.के. खान, और आईटी विभाग के प्रो. डॉ. रंजन मिश्रा जैसे प्रमुख शिक्षाविद शामिल हुए। सभी ने अपने विचार साझा किए और शोधकर्ताओं को प्रेरित किया।

समापन समारोह

21 दिसंबर को इस सम्मेलन का समापन पुरस्कार वितरण समारोह के साथ होगा। विजेता शोधकर्ताओं को सम्मानित किया जाएगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।