Ranchi Oath: झारखंड विधानसभा में शपथ ग्रहण का ऐतिहासिक दिन, नंगे पांव पहुंचे विधायक ने खींचा ध्यान
झारखंड विधानसभा के पहले सत्र में नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ली। डुमरी विधायक जयराम महतो का नंगे पांव पहुंचना बना चर्चा का विषय। जानें, किसने ली संथाली और उर्दू में शपथ।
रांची, झारखंड: झारखंड विधानसभा के छठे कार्यकाल का पहला सत्र सोमवार, 9 दिसंबर को ऐतिहासिक और रोचक घटनाओं से भरपूर रहा। प्रोटेम स्पीकर स्टीफन मरांडी ने नवनिर्वाचित विधायकों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लेकर कई अन्य प्रमुख विधायकों ने शपथ ली, लेकिन डुमरी विधायक जयराम महतो का नंगे पांव विधानसभा पहुंचना चर्चा का विषय बन गया।
शपथ ग्रहण की प्रक्रिया
सुबह 11:15 बजे झारखंड विधानसभा का सत्र प्रारंभ हुआ। प्रोटेम स्पीकर स्टीफन मरांडी ने सत्र की शुरुआत की। उन्होंने सबसे पहले मुख्यमंत्री एवं बरहेट से विधायक हेमंत सोरेन को शपथ दिलाई। इसके बाद अन्य विधायकों का क्रम शुरू हुआ।
विधायक हेमलाल मुर्मू ने संथाली भाषा, और एमटी राजा उर्फ मोहम्मद ताजुद्दीन ने उर्दू भाषा में शपथ ली। यह दर्शाता है कि झारखंड की विविधतापूर्ण संस्कृति और भाषाई पहचान को विधायकों ने अपने शपथ ग्रहण में सम्मान दिया।
डुमरी विधायक ने खींचा ध्यान
डुमरी के विधायक जयराम महतो की एंट्री विशेष रही। वे नंगे पांव विधानसभा पहुंचे, विधानसभा के बाहर माथा टेका और फिर सदन में प्रवेश किया। उनका यह कदम क्षेत्रीय परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता है।
महिलाओं और युवाओं की भागीदारी
महगामा से विधायक दीपिका पांडेय सिंह, मांडर से शिल्पी नेहा तिर्की, और गांडेय से कल्पना सोरेन जैसे युवा और महिला विधायकों की मौजूदगी ने झारखंड विधानसभा में नई ऊर्जा का संचार किया। यह झारखंड की राजनीति में बढ़ती महिला भागीदारी का भी प्रतीक है।
विविधता की मिसाल
सत्र में झारखंड की भाषाई विविधता देखने को मिली। संथाली और उर्दू में शपथ लेकर विधायकों ने यह संदेश दिया कि झारखंड की संस्कृति केवल एक समुदाय या भाषा तक सीमित नहीं है।
स्पीकर का चयन और संभावनाएं
सत्र की समाप्ति के बाद सदन को मंगलवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया। अगली बैठक में स्पीकर का चयन किया जाएगा। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि रवींद्रनाथ महतो को दोबारा स्पीकर नियुक्त किया जा सकता है।
झारखंड विधानसभा का ऐतिहासिक संदर्भ
झारखंड विधानसभा की स्थापना 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य के गठन के साथ हुई थी। तब से लेकर अब तक यह विधानसभा कई महत्वपूर्ण विधायी कार्यों और ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रही है। छठे कार्यकाल का यह पहला सत्र राज्य के लिए नई उम्मीदों का संकेत देता है।
क्या है आगे की योजना?
विधानसभा का यह सत्र केवल औपचारिकता तक सीमित नहीं रहेगा। सरकार के सामने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दे प्राथमिकता में रहेंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में घोषणा की थी कि उनकी सरकार आदिवासी और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए ठोस कदम उठाएगी।
झारखंड विधानसभा का यह पहला सत्र कई मायनों में विशेष रहा। नवनिर्वाचित विधायकों की ऊर्जा, क्षेत्रीय और भाषाई विविधता, और सांस्कृतिक प्रतीकों का सम्मान, सभी ने इस सत्र को यादगार बनाया। डुमरी विधायक जयराम महतो की अनोखी एंट्री ने यह साबित किया कि झारखंड की राजनीति में पारंपरिक मूल्यों की अहमियत अब भी बरकरार है।
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