Potka Teachers' Protest: पोटका में शिक्षकों ने 10 महीने से अटका इंक्रीमेंट भुगतान को लेकर सरकार से की मांग
पोटका के सीआरपी और वीआरपी शिक्षकों का 10 महीने से अटका सालाना इंक्रीमेंट, बैठक कर सरकार से एरियर का जल्द भुगतान करने की की गई मांग। जानिए इस मुद्दे पर शिक्षकों की चिंताएं और सरकार से उनकी अपील।
पोटका प्रखंड के सीआरपी (केंद्रिय रूरल पेडागोग्स) और वीआरपी (वillage resource persons) शिक्षकों की बैठक में 10 महीने से लंबित सालाना इंक्रीमेंट की राशि का भुगतान न होने पर गहरी चिंता जाहिर की गई। यह बैठक जादूगोड़ा में आयोजित हुई, जिसमें शिक्षकों ने झारखंड सरकार से बकाया एरियर का जल्द भुगतान करने की मांग की।
शिक्षकों का बढ़ा हुआ दबाव और चिंता
हिमाद्रि शंकर भक्त और मुकुंद मुंडा जैसे शिक्षक नेताओं ने कहा कि यदि मार्च से पहले 10 महीने का इंक्रीमेंट एरियर का भुगतान नहीं हुआ, तो फंड वापस लौट जाएगा और इन शिक्षकों को करीब 80,000 रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। शिक्षकों ने अपनी कठिनाइयों को साझा करते हुए बताया कि बकाया एरियर के कारण उनका आर्थिक संकट बढ़ चुका है, और उन्होंने झारखंड सरकार से जल्द पहल करने की अपील की।
शिक्षकों के साथ समस्या और परेशानियाँ
सालाना इंक्रीमेंट का एरियर पिछले 10 महीनों से रुका हुआ है, जिससे शिक्षकों की जीवन-यापन में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। मार्च से पहले यदि एरियर का भुगतान नहीं किया जाता है, तो यह राशि वापस लौट जाएगी और इससे प्रभावित करीब 130 बीआरपी और सीआरपी शिक्षकों को भारी नुकसान हो सकता है।
इसके अलावा, शिक्षकों ने बताया कि उनके पास मैट्रिक, इंटर, और स्नातक की डिग्रियां बिहार राज्य से प्राप्त हैं, जिन्हें झारखंड के विश्वविद्यालयों में मान्यता नहीं मिल रही है। झारखंड विश्वविद्यालय में ये डिग्रियां अभी भी लटकी हुई हैं, जबकि वे पहले ही रांची विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त कर चुके थे।
शिक्षकों का संदेश और सरकार से उम्मीद
बैठक के दौरान, शिक्षकों ने यह स्पष्ट किया कि वे वर्तमान स्थिति से निराश हैं और राज्य सरकार से उनकी समस्याओं का हल जल्द से जल्द निकालने की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि इंक्रीमेंट का बकाया राशि उनके जीवन की स्थिरता के लिए बेहद जरूरी है और इस भुगतान में किसी प्रकार की देरी से उनका परिवार भी आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहा है।
रांची विश्वविद्यालय और मान्यता की समस्या
शिक्षकों का कहना है कि उनकी डिग्रियों की मान्यता को लेकर कई अड़चनें आ रही हैं। वे कहते हैं, "हमारे पास बिहार राज्य से प्राप्त डिग्रियां हैं, जिनकी जांच की प्रक्रिया अब झारखंड विश्वविद्यालय में अटकी हुई है। रांची विश्वविद्यालय ने पहले ही इन डिग्रियों को मान्यता दे दी थी, लेकिन अब झारखंड विश्वविद्यालय में इसकी प्रक्रिया अटक गई है।"
क्या है झारखंड सरकार का जवाब?
अब झारखंड सरकार के सामने शिक्षकों की मांग है कि जल्द से जल्द इन समस्याओं का समाधान निकाला जाए, ताकि शिक्षकों का जीवन आसान हो सके और वे अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सकें। राज्य सरकार से अपेक्षाएँ हैं कि इंक्रीमेंट का बकाया एरियर और डिग्रियों की मान्यता के मुद्दे पर जल्दी निर्णय लिया जाए।
पोटका प्रखंड के शिक्षकों का यह मुद्दा न केवल उनके आर्थिक जीवन से जुड़ा हुआ है, बल्कि शिक्षा प्रणाली में सुधार और शिक्षकों की स्थिति में बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। झारखंड सरकार से अब इस आर्थिक दबाव को खत्म करने और शिक्षकों को आर्थिक राहत देने के लिए शीघ्र समाधान की आवश्यकता है।
यह घटना झारखंड के शिक्षा और प्रशासनिक क्षेत्र के लिए एक उदाहरण बन सकती है कि किस प्रकार सही समय पर आर्थिक और अन्य समर्थन से राज्य के शिक्षकों को सशक्त किया जा सकता है।
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