Pipalsana Poetry meet : गंगा जमुनी तहज़ीब की अद्भुत झलक
पीपलसाना में फराह एकेडमी द्वारा आयोजित मुशायरा और कवि सम्मेलन में गंगा जमुनी तहज़ीब पर आधारित कविता और गीतों ने सबका दिल जीत लिया। जानें पूरी जानकारी।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के पीपलसाना में आयोजित हुआ एक यादगार मुशायरा और कवि सम्मेलन, जिसमें गंगा जमुनी तहज़ीब की सुंदरता और एकता का एहसास हुआ। फराह एकेडमी द्वारा आयोजित इस साहित्यिक सभा में देशभर के मशहूर शायरों और कवियों ने अपनी कलम की जादूगरी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत:
कार्यक्रम की शुरुआत फरहत अली फरहत ने नातिया कलाम से की, जिसके बाद सत्यवती सिंह सत्या ने सरस्वती वंदना से वातावरण को और भी गरिमामय बना दिया। इस अवसर पर मंच की अध्यक्षता बरेली के मशहूर शायर विनय सागर जायसवाल ने की। उनके अलावा सत्यवती सत्या, अब्दुल हमीद बिस्मिल, गज़ल राज, सरफराज हुसैन फ़राज़, शैलेन्द्र सागर, अमर सिंह बिसेन, दीपक मुखर्जी, राम प्रकाश सिंह ओज, और अन्य कई प्रसिद्ध शायरों ने भी अपनी रचनाओं से सबको प्रभावित किया।
कवियों के अद्भुत कलाम:
कार्यक्रम में विनय सागर जायसवाल ने अपनी कविता से एक नई उमंग भरी: “मेरे कदम जो रोके हवाओं में दम नहीं, मैं घर से आज निकला हूं मां की दुआ के साथ।” वहीं, अरुण कुमार गाजियाबादी ने अपनी भावपूर्ण रचना पढ़ी: “मां को बारिश में छाता थमाया तो वो, सारा मेरी तरफ ही झुकती रही।”
सरफराज हुसैन फ़राज़ ने अपनी गज़ल में लिखा, “या खुदा महफूज़ रखना आशियाने को मेरे, वो गिराते फिर रहे हैं शहर भर में बिजलियां,” जिससे पूरी महफिल गूंज उठी।
दीपक बनर्जी ने व्यंग्यात्मक शैली में कहा, “फिर आएंगे खाकी वाले भैय्या,” तो नफीस पाशा 'साहब' मुरादाबादी ने अपनी गज़ल से माहौल को छू लिया: “बड़े ग़म हैं ज़िंदगी में, उन्हें कैसे हम छिपाएं।”
विशेष क्षण:
कार्यक्रम के दौरान तहसीन मुरादाबादी के ग़ज़ल संग्रह ग़ज़ल पाठशाला का लोकार्पण भी हुआ, जिसे विनय सागर जायसवाल ने किया।
अब्दुल हमीद बिस्मिल ने देश की एकता पर अपनी रचना प्रस्तुत की: “हो न जाएं ये परिंदे बेवतन, जल न जाएं मौसम ए गुल में चमन।”
सांस्कृतिक विविधता का उत्सव:
इस समारोह ने गंगा जमुनी तहज़ीब की भावना को जीवित किया, जो हमारी सांस्कृतिक विविधता और साझा विरासत का परिचायक है। सरफराज हुसैन फ़राज़ ने निजामत की और पूरे कार्यक्रम को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।
पीपलसाना में आयोजित यह मुशायरा और कवि सम्मेलन न केवल एक साहित्यिक सभा थी, बल्कि यह हमारे देश की सांस्कृतिक एकता और परंपराओं को मनाने का एक सुंदर अवसर भी था। ऐसे कार्यक्रम हमारी विरासत को संजोने और साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महत्वपूर्ण बातें:
- पीपलसाना का यह मुशायरा गंगा जमुनी तहज़ीब का प्रतीक बना।
- कवियों ने अपनी रचनाओं से समाज के विविध पहलुओं को छूने का प्रयास किया।
- देश के मशहूर शायरों ने अपनी शायरी और गज़लों से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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