Palamu Hospital Blast : पलामू के सरकारी अस्पताल में ब्लास्ट के बाद जीएनएम ने बचाई 8 नवजातों की जान, जानिए कैसे!

पलामू के मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज में हुए ब्लास्ट के बाद, जीएनएम ममता त्रिशूल और दयानी ओरिया ने 8 नवजातों की जान बचाई। इस अद्वितीय साहसिक कार्य को जानें!

Dec 14, 2024 - 11:37
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Palamu Hospital Blast : पलामू के सरकारी अस्पताल में ब्लास्ट के बाद जीएनएम ने बचाई   8  नवजातों की जान, जानिए कैसे!
Ranchi News: पलामू के सरकारी अस्पताल में ब्लास्ट के बाद जीएनएम ने बचाई नवजातों की जान, जानिए कैसे!

रांची: झारखंड के पलामू जिले में एक सरकारी अस्पताल में घटी एक भयावह घटना ने सबको चौंका दिया। मेदिनी राय मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) में हाई फ्लो मशीन में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई, जिससे अस्पताल में हड़कंप मच गया। इस खतरनाक स्थिति में जीएनएम ममता त्रिशूल और दयानी ओरिया ने बहादुरी का परिचय देते हुए 8 नवजातों की जान बचाई।

यह घटना शुक्रवार और शनिवार की रात के बीच करीब 1:30 बजे घटी, जब अचानक ब्लास्ट की आवाज आई और एसएनसीयू वार्ड में आग लग गई। उस समय वार्ड में 8 नवजात बच्चे इलाजरत थे। आग की लपटों में घिरने से पहले ही दोनों जीएनएम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी बच्चों को सुरक्षित निकाला।

कैसे हुई घटना और जीएनएम की बहादुरी?

आग लगने की घटना ने एक भयावह रूप ले लिया था। जैसे ही ब्लास्ट की आवाज सुनकर जीएनएम ममता त्रिशूल ने दौड़ते हुए एसएनसीयू वार्ड में प्रवेश किया, तो वहां का दृश्य अत्यंत भयावह था। उन्होंने देखा कि हाई फ्लो मशीन में आग लगी हुई थी, जो तेजी से फैल रही थी। इस स्थिति में उन्हें अपने सामने सिर्फ एक ही विकल्प नजर आया—तुरंत बच्चों को वहां से बाहर निकाला जाए।

ममता त्रिशूल और दयानी ओरिया ने बिना किसी घबराहट के 4-4 नवजात बच्चों को एक साथ उठाया और उन्हें लेबर वार्ड में शिफ्ट किया। वहीं, दोनों ने बच्चों को ऑक्सीजन लगाया और उन्हें जरूरी इलाज मुहैया कराया। इसके बाद, वाटर कंटेनर की मदद से आग पर काबू पाया गया। यदि इस आपात स्थिति में सही समय पर कार्रवाई नहीं की जाती, तो नवजातों की जान को खतरा हो सकता था।

दो घंटे बाद शिफ्ट किया गया एसएनसीयू वार्ड

घटना के बाद, डॉ. रजी और सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह को तुरंत इसकी सूचना दी गई। दोनों रात में ही अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने जल्दी से कार्रवाई करते हुए, सभी 8 नवजातों को एसएनसीयू वार्ड में दो घंटे बाद शिफ्ट किया

इस घटना में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह घटना एक ऐसी उदाहरण बन गई, जिसमें अस्पताल स्टाफ ने अपनी बहादुरी से नवजातों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

क्या था इस हादसे का कारण?

शॉर्ट सर्किट के कारण अस्पताल की हाई फ्लो मशीन में अचानक आग लग गई, जो कई मिनटों तक फैलती रही। हालांकि, अस्पताल की टीम की तत्परता और जीएनएम ममता त्रिशूल और दयानी ओरिया के साहस ने इस घटना को एक भयावह त्रासदी बनने से रोक लिया। अस्पताल में इस प्रकार की आग की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

आग पर काबू पाकर अस्पताल ने दिखाया पेशेवर रवैया

आग को काबू करने के बाद, अस्पताल प्रशासन ने इसे एक बड़ी चुनौती के रूप में लिया और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए आग सुरक्षा उपायों को बेहतर करने की दिशा में काम करने का वादा किया। इस घटना ने अस्पताल के अधिकारियों को यह याद दिलाया कि नेत्रदीपक कार्रवाई और तत्काल निर्णय किस तरह जान बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं।

निष्कर्ष: जीएनएम की बहादुरी और सटीक कार्रवाई ने बचाई नवजातों की जान

यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि समझदारी और बहादुरी के साथ की गई त्वरित प्रतिक्रिया जीवन को बचा सकती है। जीएनएम ममता त्रिशूल और दयानी ओरिया ने अपनी साहसिकता और कड़ी मेहनत से 8 नवजातों की जान बचाई। उनकी त्वरित कार्रवाई और पेशेवर रवैया न केवल अस्पताल में कार्यरत टीम के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा है।

इस घटना से यह भी सिद्ध होता है कि चिकित्सा क्षेत्र में, चाहे कोई भी संकट हो, प्रोफेशनलिज्म और समर्पण की भावना सबसे महत्वपूर्ण होती है।

क्या आप भी इस साहसिक कार्य से प्रेरित हुए हैं? क्या आपको लगता है कि अस्पतालों में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा उपायों को बेहतर बनाने की आवश्यकता है? अपने विचार हमसे साझा करें!

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