New Delhi Resignation: जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा, क्या जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा कनाडा के भविष्य के लिए बड़ा बदलाव ला सकता है?
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने इस्तीफे की घोषणा की। जानें क्यों उन्होंने ये कदम उठाया और क्या इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा।
कनाडा के 23वें प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। इसने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया है। ट्रूडो का इस्तीफा नौ वर्षों तक चले उनके कार्यकाल के समाप्ति को दर्शाता है, जो न केवल कनाडा बल्कि वैश्विक राजनीति में भी प्रभाव डालने वाला है। ओटावा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 53 वर्षीय ट्रूडो ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों, चुनौतियों और उस एक बड़े पछतावे के बारे में बात की, जो उन्हें आगामी चुनाव के संदर्भ में सालों से परेशान कर रहा था।
इस्तीफे का बड़ा कारण: चुनावों के लिए नया तरीका
ट्रूडो ने स्पष्ट रूप से कहा, "अगर मेरे पास एक पछतावा है, खासकर इस चुनाव के करीब आते हुए, तो वह यही है कि हम अपने चुनावी सिस्टम को सुधारने में सफल नहीं हो पाए, ताकि लोग सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि दूसरे और तीसरे विकल्प भी चुन सकें।" यह बयान न केवल उनके नेतृत्व के अंत को दर्शाता है, बल्कि एक ऐसे लोकतांत्रिक सुधार की आवश्यकता की ओर इशारा करता है, जिसे कनाडा में लाने का वह सपना देखते थे।
पार्टी में उथल-पुथल और विपक्ष का उभार
ट्रूडो का इस्तीफा ऐसे समय पर आया है जब लिबरल पार्टी को भी भीतरी असहमति और गिरते जनमत के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी की स्थिति पहले से ही कमजोर होती जा रही थी, और अब पियरे पोलिवर द्वारा नेतृत्व किए गए कंजरवेटिव विपक्ष का दबाव भी बढ़ चुका है। ट्रूडो ने यह भी स्वीकार किया कि पार्टी और नेतृत्व के सामने जो चुनौतियां हैं, उनका सामना करना असंभव हो गया है।
"यह देश अगले चुनाव में एक वास्तविक विकल्प का हकदार है," ट्रूडो ने कहा, "और यह स्पष्ट हो गया है कि अगर मैं आंतरिक लड़ाइयों में उलझा रहूं, तो मैं उस चुनाव में सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता।"
ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने की यात्रा
2015 में जब ट्रूडो ने लिबरल पार्टी को जीत दिलाई थी, तो उन्हें एक प्रगतिशील नेता के रूप में सराहा गया था। "सनी वेज" और जलवायु परिवर्तन, लिंग समानता जैसे मुद्दों को उठाकर उन्होंने एक नई दिशा की शुरुआत की थी। उनके युवा चेहरें और उनके पिता, पूर्व प्रधानमंत्री पियरे एलीयट ट्रूडो का नाम, उनके लिए एक मजबूत राजनीतिक पहचान बना चुके थे।
हालांकि, बढ़ती महंगाई, जीवन यापन की कठिनाइयों और अपनी पार्टी के भीतर असंतोष के कारण ट्रूडो ने यह कदम उठाया, जो अगले चुनाव में एक कठिन मुकाबला बनता दिख रहा था।
उप प्रधानमंत्री क्रिस्टीआ फ्रीलैंड का इस्तीफा
यह घोषणा पिछले साल उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टीआ फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद आई है। फ्रीलैंड ने ट्रूडो पर "राजनीतिक हथकंडों" का आरोप लगाया था, जिनसे वह केवल वोटर्स को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे, बजाय कि दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता की योजना बनाने के।
कंजरवेटिव पार्टी का उदय
ट्रूडो और उनकी पार्टी के गिरते आंकड़ों के बीच, पियरे पोलिवर के नेतृत्व में कंजरवेटिव पार्टी ने अपनी स्थिति को मजबूत किया है। पोलिवर ट्रूडो की आर्थिक और सामाजिक नीतियों के कड़े आलोचक रहे हैं। उन्होंने ट्रूडो के इस्तीफे के बाद एक वीडियो संदेश में कहा, "हम खर्च पर नियंत्रण करेंगे, करों को खत्म करेंगे, और कनाडा को पहले रखेंगे।"
हालांकि, ट्रूडो ने पोलिवर की कंजरवेटिव नीतियों को एक खतरे के रूप में देखा है। उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन से लड़ाई को रोकना समझदारी नहीं है, और विविधता और समावेशी मूल्यों से पीछे हटना इस देश के लिए सही मार्ग नहीं है।"
आने वाला समय और लिबरल पार्टी का भविष्य
ट्रूडो का इस्तीफा लिबरल पार्टी के भीतर नेतृत्व के एक नए दौर की शुरुआत करेगा। अभी यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि भविष्य में पार्टी का अगला नेता कौन होगा, जिनमें मार्क कार्नी, मीनी जोली और क्रिस्टीआ फ्रीलैंड के नाम सामने आ रहे हैं।
कनाडा के गवर्नर जनरल से संसद को 24 मार्च तक स्थगित करने की अनुमति मिलने के बाद, लिबरल पार्टी को इस समय का उपयोग अपने नए नेतृत्व का चयन करने के लिए मिलेगा। इस दौरान पार्टी को नए चेहरों की तलाश होगी, जो आने वाले चुनाव में उनके लिए जीत सुनिश्चित कर सकें।
जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा कनाडा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी इस कड़ी यात्रा के बाद, लिबरल पार्टी के लिए अगला कदम क्या होगा और कनाडा की जनता किस दिशा में वोट करेगी।
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