Neemdiha Training: बच्चों को मिल रहा आत्मरक्षा का अनोखा प्रशिक्षण, जानें कैसे बदल रही है जिंदगी
नीमडीह में मुकुंद मेमोरियल स्कूल में छात्रों को निशुल्क मार्शल आर्ट प्रशिक्षण देकर आत्मरक्षा के लिए तैयार किया जा रहा है। जानें कैसे ये पहल युवाओं को सशक्त बना रही है।
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नीमडीह: आधुनिक दौर में आत्मरक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है, खासकर तब जब समाज में असामाजिक तत्वों का खौफ युवाओं को प्रभावित कर रहा है। झारखंड के नीमडीह प्रखंड में इस चुनौती से निपटने के लिए एक अनोखी पहल की जा रही है। यहां मुकुंद मेमोरियल पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं को निशुल्क मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण केवल आत्मरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि युवाओं को आत्मविश्वास, अनुशासन और शारीरिक फिटनेस का भी पाठ पढ़ा रहा है।
मार्शल आर्ट प्रशिक्षण की खासियत
हिगोना गोजू रयु कराटे डो संस्था के प्रशिक्षक रथु महतो, जो ब्लैक बेल्ट सेकंड डॉन हैं, इस पहल का नेतृत्व कर रहे हैं। वे रघुनाथपुर स्थित इस स्कूल में बच्चों को आत्मरक्षा के लिए जरूरी तकनीकें सिखा रहे हैं। यह प्रशिक्षण पूरी तरह निशुल्क है, और अब तक सैकड़ों बच्चों ने इसका लाभ उठाया है।
विद्यालय के संस्थापक का दृष्टिकोण
विद्यालय के संस्थापक और ग्राम प्रधान महासंघ के झारखंड प्रदेश उपाध्यक्ष वैद्यनाथ महतो का कहना है कि वर्तमान समय में युवतियां खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। ऐसे में मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण उनके लिए एक मजबूत कवच का काम करता है। उनका मानना है कि आत्मरक्षा का यह अभ्यास छात्रों के मानसिक और शारीरिक विकास में अहम भूमिका निभा रहा है।
इतिहास में झलक
मार्शल आर्ट की जड़ें सदियों पुरानी हैं। इसका इतिहास प्राचीन भारत और एशिया के कई हिस्सों में मिलता है। इसे आत्मरक्षा और शारीरिक मजबूती के साथ-साथ मानसिक संतुलन के लिए भी प्रयोग किया जाता था। आज के समय में यह कला न केवल खेल और प्रतियोगिताओं में, बल्कि व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए भी अहम हो गई है।
छात्रों और अभिभावकों का अनुभव
प्रशिक्षण में भाग लेने वाले बच्चों का कहना है कि वे अब खुद को ज्यादा सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करते हैं। अभिभावक भी इस पहल को लेकर बेहद उत्साहित हैं। वे मानते हैं कि यह प्रशिक्षण उनके बच्चों के लिए न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य में भी मददगार साबित होगा।
आत्मरक्षा के लिए जरूरी क्यों है मार्शल आर्ट?
मार्शल आर्ट केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है। यह छात्रों को आत्मविश्वास, धैर्य और चुनौतियों से निपटने का साहस सिखाता है। यह कला मानसिक संतुलन और अनुशासन को भी बढ़ावा देती है। युवतियों के लिए, यह असामाजिक तत्वों से निपटने का एक सशक्त माध्यम बन गया है।
भविष्य की योजना
प्रशिक्षण के तहत बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए तैयार किया जा रहा है। स्कूल प्रशासन का कहना है कि वे बच्चों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का मौका देंगे। इसके अलावा, स्कूल ने अन्य गांवों और क्षेत्रों में भी ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है।
समाज पर प्रभाव
नीमडीह प्रखंड में शुरू हुई यह पहल समाज में एक सकारात्मक संदेश फैला रही है। यह दिखा रही है कि शिक्षा के साथ-साथ आत्मरक्षा का ज्ञान भी आवश्यक है। इस तरह की पहल अन्य स्कूलों और क्षेत्रों के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।
मार्शल आर्ट का यह प्रशिक्षण केवल बच्चों को असुरक्षा से बचाने का साधन नहीं है, बल्कि उनके व्यक्तित्व निर्माण का भी अहम हिस्सा है। नीमडीह में चल रही यह पहल बच्चों को एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य की ओर अग्रसर कर रही है।
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