Nawada Cleanliness Issue : करोड़ों खर्च फिर भी गंदगी का साम्राज्य, स्वच्छता केवल नाम की
नवादा में सफाई पर करोड़ों खर्च के बावजूद गंदगी का आलम। स्टेशन रोड, सदर अस्पताल और अन्य प्रमुख इलाकों में पसरा कचरा। जानें स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रयास और असफलता।
नवादा नगर के प्रमुख इलाकों में सफाई अभियान केवल नाम का बनकर रह गया है। करोड़ों के बजट और स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रयासों के बावजूद शहर के हालात नारकीय हैं। हर जगह फैला कचरा और सड़कों पर उड़ती धूल यहां की बदहाली की गवाही दे रहे हैं।
गंदगी की तस्वीर: प्रमुख इलाकों का हाल
स्टेशन रोड, सदर अस्पताल, आरएमडब्ल्यू कॉलेज, नायक गली जैसे इलाकों में गंदगी का साम्राज्य है। सड़कों पर फैले कचरे से गुजरने वाले लोगों को नाक पर रूमाल रखकर निकलना पड़ता है। फल गली, देवी मंदिर गली, सब्जी बाजार, और पुरानी बाजार मोड़ जैसे व्यस्त इलाकों में भी स्थिति भयावह है।
सड़कों पर उड़ती धूल की वजह से बाइक सवारों को बिना मास्क और चश्मे के निकलना मुश्किल हो गया है। खासकर थाना रोड, गया रोड और वीआईपी कॉलोनी रोड पर धूल का ऐसा हाल है कि नाक, मुंह और आंखों में डस्ट जमा हो जाती है।
स्वच्छता अभियान: केवल दिखावा?
स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जैसे:
- मां के नाम एक पेड़ लगाना
- बच्चों को स्वच्छता शपथ दिलाना
- स्वच्छता जागरूकता रैली निकालना
- वॉल पेंटिंग कराना
इन प्रयासों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा। नगर परिषद द्वारा पानी का छिड़काव तक नहीं किया जाता।
आधिकारिक सड़कों पर विशेष सफाई
शहर के डीएम कोठी से समाहरणालय तक की सड़कें साफ-सुथरी रखी जाती हैं, क्योंकि इन रास्तों से अधिकारियों और नेताओं का आना-जाना होता है। वहीं, आम जनता के इलाकों में सफाई कार्यों की अनदेखी हो रही है।
स्वच्छता सर्वेक्षण और उसकी असफलता
2016 में शुरू हुए स्वच्छता सर्वेक्षण का मकसद शहरों में स्वच्छता को बढ़ावा देना और नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना था। यह सर्वेक्षण स्थानीय निकायों को टिकाऊ सफाई प्रथाओं के लिए प्रेरित करता है। लेकिन नवादा नगर को आज तक इस सर्वेक्षण में कोई उल्लेखनीय ग्रेड नहीं मिला है।
नगर परिषद की लापरवाही और जनता की उदासीनता ने इस अभियान को विफल बना दिया है। जहां स्वच्छता अभियान का उद्देश्य शहर को रहने योग्य बनाना था, वहीं नवादा की सड़कों पर पसरी गंदगी इसका उलट चित्रण कर रही है।
इतिहास में स्वच्छता का महत्व
स्वच्छता का महत्व भारत के इतिहास में सदैव से रहा है। महात्मा गांधी ने भी स्वच्छता को आजादी से अधिक जरूरी बताया था। उनका मानना था कि स्वच्छता के बिना स्वस्थ और खुशहाल समाज की कल्पना नहीं की जा सकती।
समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी
नवादा के मौजूदा हालात जनता और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारियों पर सवाल उठाते हैं। जहां एक ओर नागरिकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक होना चाहिए, वहीं प्रशासन को कठोर कार्रवाई करनी होगी।
बदलाव की जरूरत
नवादा की गंदगी भरी तस्वीर सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। कचरा प्रबंधन, नियमित सफाई और नागरिकों की भागीदारी ही इस समस्या का हल है। वरना, स्वच्छता अभियान और सर्वेक्षण केवल दिखावा बनकर रह जाएंगे।
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