Nawada Dispute: रोजगार सेवक और मुखिया में विवाद, न्याय की गुहार
नवादा जिले के मेसकौर प्रखंड में रोजगार सेवक और मुखिया के बीच योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर विवाद, पढ़ें पूरी खबर।
नवादा: नवादा जिले के उग्रवाद प्रभावित मेसकौर प्रखंड के सहवाजपुर सराय पंचायत में एक विवाद सामने आया है, जहां पंचायत रोजगार सेवक ने मुखिया पर अभद्र व्यवहार और कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाया है। मामले को लेकर थाने में आवेदन देकर न्याय की मांग की गई है।
क्या है पूरा मामला?
रोजगार सेवक प्रवीण कुमार का आरोप है कि वह पंचायत के गांधी नगर क्षेत्र में इंदिरा आवास योजना और मनरेगा योजना के तहत कार्यों का सर्वे करने पहुंचे थे। कार्य शुरू करने से पहले ही पंचायत के मुखिया राकेश कुमार अपने कुछ सहयोगियों के साथ वहां मौजूद थे।
जैसे ही प्रवीण ने सर्वेक्षण कार्य प्रारंभ किया, मुखिया ने कार्य रोक दिया और निर्देश दिए कि उनकी अनुमति के बिना कोई कार्य नहीं किया जाएगा। इस पर दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई। विवाद बढ़ने पर प्रवीण कुमार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए न्याय की मांग की है।
योजनाओं का महत्व और विवाद की पृष्ठभूमि
इंदिरा आवास योजना और मनरेगा जैसी सरकारी योजनाएं ग्रामीण विकास और गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए चलाई जाती हैं। इन योजनाओं के तहत पंचायत स्तर पर रोजगार सेवक को कार्यों की देखरेख और निष्पादन की जिम्मेदारी दी जाती है।
हालांकि, कई बार योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायती स्तर पर हस्तक्षेप और मतभेद देखने को मिलते हैं, जो इस मामले में भी सामने आया।
प्रवीण कुमार का आरोप
प्रवीण कुमार के अनुसार:
- सर्वेक्षण कार्य में जबरन रोक लगाई गई।
- कार्यों में बिना तर्क बाधा डाली गई।
- विवाद को बढ़ाते हुए व्यक्तिगत स्तर पर अपमानजनक व्यवहार किया गया।
क्या कहना है मुखिया का?
मुखिया राकेश कुमार ने इस पूरे मामले पर अपनी सफाई दी है। उनका कहना है कि उन्होंने केवल योजनाओं के सही क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप किया।
पुलिस में दर्ज शिकायत और जांच की स्थिति
रोजगार सेवक द्वारा दिए गए आवेदन के बाद स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। दोनों पक्षों से पूछताछ जारी है, और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया गया है।
इस मामले में क्या हैं मुख्य बिंदु?
- योजनाओं का विवाद: सरकारी योजनाओं का सही क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
- प्रशासनिक हस्तक्षेप: पंचायत स्तर पर अधिकारों की स्पष्टता की कमी।
- कानूनी प्रक्रिया: न्यायिक समाधान के लिए पुलिस का हस्तक्षेप।
ऐसे मामलों में क्या होना चाहिए?
- स्पष्ट दिशानिर्देश: सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए।
- जागरूकता कार्यक्रम: पंचायत प्रतिनिधियों और रोजगार सेवकों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
- कानूनी कार्रवाई: यदि किसी भी पक्ष द्वारा अनुचित व्यवहार किया जाता है, तो निष्पक्ष और पारदर्शी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।
यह मामला न केवल प्रशासनिक टकराव को उजागर करता है, बल्कि सरकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन की आवश्यकता पर भी सवाल खड़ा करता है। मेसकौर प्रखंड में इस विवाद के निष्पक्ष समाधान की उम्मीद की जा रही है, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
What's Your Reaction?