मनरेगा कर्मचारियों का आंदोलन: स्थायीकरण की मांग पर अड़े कर्मचारी
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ द्वारा “वादा निभाओ स्थाई करो” के नारे के साथ राज्यभर के सभी जिला मुख्यालयों के बाहर धरना दिया गया।
झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ द्वारा “वादा निभाओ स्थाई करो” के नारे के साथ बुधवार को राज्यभर के सभी जिला मुख्यालयों के बाहर धरना दिया गया। इस धरने में पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय पर नेतृत्व कर रहे अध्यक्ष सुरई हेंब्रम ने बताया कि पिछले 17 सालों से तमाम मनरेगा कर्मी अति अल्प मानदेय पर अपनी सेवा दे रहे हैं। राज्य के सभी मनरेगा कर्मी स्थाई निवासी हैं, लेकिन राज्य सरकार के आश्वासन के बाद भी मनरेगा कर्मियों का स्थाईकरण अब तक नहीं हो सका है।
देश के कई अन्य राज्यों में मनरेगा कर्मियों की सेवा स्थाई कर दी गई है, जबकि झारखंड के मनरेगा कर्मी आज भी स्थाईकरण को लेकर आंदोलनरत हैं। बुधवार के राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत मनरेगा कर्मचारी सरकार से स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं। इस दौरान उपायुक्त के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा गया।
संघ के सहसचिव सहदेव बेरा ने बताया कि अगर उनकी मांगे प्रदर्शन से पूरी नहीं होती हैं, तो वे 18 से 20 जुलाई तक तीन दिवसीय सांकेतिक हड़ताल करेंगे और 22 जुलाई से वे प्रदर्शन के साथ आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। मनरेगा कर्मचारियों का स्थायीकरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, खासकर जब वे 17 सालों से न्यूनतम वेतन पर काम कर रहे हैं। अन्य राज्यों में मनरेगा कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति ने झारखंड के कर्मचारियों के बीच असंतोष को और बढ़ा दिया है। यह आंदोलन केवल वेतन वृद्धि नहीं, बल्कि कर्मचारियों के काम के प्रति सम्मान और स्थिरता की मांग है।
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