Godda Police Silence: "थाना हमारी जेब में है" – ग्राम खटनई में मंजर आलम का आतंक, पीड़ित परिवार की अनदेखी पर पुलिस की चुप्पी सवालों के घेरे में
गोड्डा जिले के खटनई गांव में मंजर आलम के आतंक और पुलिस की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है, लेकिन थाना प्रभारी की निष्क्रियता से न्याय अधर में है।
गोड्डा, खटनई: झारखंड के गोड्डा जिले के मोतिया OP थाना क्षेत्र के ग्राम खटनई में मंजर आलम के आतंक से गांव का माहौल गरमा गया है। स्थानीय निवासी मंजर आलम, जिसे अपनी दबंगई और "थाना हमारी जेब में है" जैसे दावे करने के लिए जाना जाता है, गांव में उत्पात मचाने और अपने विरोधियों पर जुल्म ढाने के लिए कुख्यात हो चुका है।
वीडियो में कैद हुई दबंगई
पीड़ित यासिर अराफ़ात और उनकी पत्नी ने बताया कि मंजर आलम उनके घर में घुसकर मारपीट करता है और गाली-गलौज करने से भी नहीं चूकता। इस उत्पात की पुष्टि एक वायरल वीडियो क्लिप से होती है, जिसमें मंजर आलम की हरकतें साफ दिखाई देती हैं। वीडियो में मंजर आलम को खुलेआम धमकी देते और पीड़ित परिवार को प्रताड़ित करते देखा जा सकता है।
थाना प्रभारी की संदिग्ध चुप्पी
यासिर अराफ़ात और उनके परिवार ने बार-बार मोतिया OP थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन थाना प्रभारी की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मंजर आलम का यह दावा कि "थाना हमारी जेब में है," पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिरकार, जब पीड़ित परिवार न्याय के लिए गुहार लगा रहा है, तो पुलिस चुप क्यों है? क्या वाकई मंजर आलम का प्रभाव इतना मजबूत है कि कानून भी उसके आगे बेबस हो गया है?
गांव वालों का डर और प्रशासन की विफलता
ग्राम खटनई के लोग मंजर आलम के डर से खुलकर कुछ बोलने से कतराते हैं। उनका कहना है कि अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी, तो यह आतंक बढ़ता जाएगा और गांव में शांति भंग हो जाएगी। ग्रामीणों के बीच भय का माहौल इस कदर है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
मंजर आलम को कौन दे रहा है संरक्षण?
यह सवाल अब पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन चुका है कि मंजर आलम को आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है? यदि वह थाना प्रभारी के खिलाफ इस तरह के दावे कर रहा है और खुलेआम उत्पात मचा रहा है, तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक तंत्र में गड़बड़ी है।
पीड़ित परिवार की गुहार
यासिर अराफ़ात और उनकी पत्नी ने प्रशासन और जिले के उच्चाधिकारियों से न्याय की अपील की है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही मंजर आलम पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जिला मुख्यालय में धरना देने को मजबूर होंगे।
समाज और प्रशासन के लिए सवाल
- मंजर आलम का "थाना हमारी जेब में है" जैसा दावा क्या स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर धब्बा नहीं है?
- क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा, या प्रशासन मंजर आलम के दबाव में काम करता रहेगा?
- ग्रामीणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर किसकी है?
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