Mamta Kulkarni Resignation: महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी ने पद छोड़ा, जानें क्यों उठे थे सवाल
पूर्व बॉलीवुड अदाकारा ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया! अखाड़े में विवाद क्यों हुआ? जानिए पूरी कहानी और ममता की आध्यात्मिक यात्रा।

बॉलीवुड की पूर्व अदाकारा और सन्यासिनी ममता कुलकर्णी इन दिनों एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर घोषित किया गया था, लेकिन इस फैसले पर लगातार सवाल उठने लगे। अब, सोमवार को ममता ने महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि उनकी नियुक्ति पर कई लोगों को आपत्ति थी।
कैसे बनीं महामंडलेश्वर?
बॉलीवुड से संन्यास लेकर आध्यात्म की राह पकड़ने वाली ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज महाकुंभ में जाकर अपना पिंडदान किया था। इसके बाद उन्हें पट्टाभिषेक प्रक्रिया के तहत महामंडलेश्वर बनाया गया। लेकिन इस नियुक्ति के बाद ही अखाड़े में मतभेद सामने आने लगे, जिसके चलते उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया।
'बहुतों को मेरी मौजूदगी से आपत्ति थी' - ममता
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में ममता ने अपने इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा:
"मैं महामंडलेश्वर यामाई ममता नंदगिरी, इस पद से इस्तीफा दे रही हूं। किन्नर अखाड़े और अन्य अखाड़ों में मेरी नियुक्ति को लेकर कई तरह की समस्याएं खड़ी हो गई हैं। मैं पिछले 25 सालों से साध्वी रही हूं और आगे भी साध्वी ही रहूंगी। लेकिन, मेरे महामंडलेश्वर बनने पर कई लोगों को आपत्ति थी।"
बॉलीवुड से दूरी पर उठे सवाल!
ममता कुलकर्णी ने यह भी कहा कि वह पिछले 25 वर्षों से फिल्मी दुनिया से पूरी तरह दूर हैं।
"मेरी जिंदगी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि मैं 25 सालों से कहां थी? मैं खुद से पूछती हूं कि 25 साल तक कोई मेकअप और फिल्मों से दूर कैसे रह सकता है? लेकिन मैंने बॉलीवुड को पूरी तरह त्याग दिया था। फिर भी मेरे महामंडलेश्वर बनने पर विवाद खड़ा हो गया।"
गुरु चैतन्य गगनगिरी महाराज का जिक्र
ममता ने बताया कि उनके आध्यात्मिक गुरु चैतन्य गगनगिरी महाराज ने उन्हें घोर तपस्या का मार्ग दिखाया।
"मैंने 25 सालों तक अपने गुरु के सानिध्य में कठोर तपस्या की है। मुझे अब कैलाश या मानसरोवर जाने की जरूरत नहीं, क्योंकि संपूर्ण ब्रह्मांड मेरे सामने है। लेकिन अब यह विवाद खड़ा हो गया है और यह संकेत है कि मुझे इससे बाहर निकल जाना चाहिए।"
महामंडलेश्वर पद छोड़ने का रहस्य!
ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के बाद अखाड़े के भीतर मतभेद बढ़ने लगे थे। कई धर्मगुरुओं ने इस नियुक्ति पर सवाल उठाए। शंकराचार्य समेत कई संतों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई और इसे अखाड़े की परंपराओं के खिलाफ बताया।
ममता ने कहा, "यह सब चंडी का संकेत है। जिनकी मैंने घोर आराधना की, वही संकेत दे रही हैं कि मुझे इससे बाहर निकलना चाहिए।"
क्या अब फिर से संन्यास का मार्ग अपनाएंगी ममता?
इस्तीफे के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या ममता कुलकर्णी फिर से साध्वी जीवन में लौट जाएंगी, या कोई नया अध्यात्मिक पद अपना सकती हैं?
फिलहाल, उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वह साध्वी ही रहेंगी, लेकिन महामंडलेश्वर के पद को लेकर बढ़ते विवादों से खुद को दूर कर लिया है।
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