Mahakumbh Miracle: 4 दिन तक गायब दादी का रहस्यमयी सफर, घर लौटकर सुनाई अनसुनी कहानी!

महाकुंभ में 4 दिन तक गायब रही वीणा देवी की रहस्यमयी वापसी! घर लौटकर सुनाई ऐसी कहानी, जो आपको हैरान कर देगी!

Feb 2, 2025 - 13:43
Feb 2, 2025 - 13:50
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Mahakumbh Miracle: 4 दिन तक गायब दादी का रहस्यमयी सफर, घर लौटकर सुनाई अनसुनी कहानी!
Mahakumbh Miracle: 4 दिन तक गायब दादी का रहस्यमयी सफर, घर लौटकर सुनाई अनसुनी कहानी!

गिरिडीह: महाकुंभ का मेला, आस्था और विश्वास का महासंगम! लेकिन जब लाखों की भीड़ उमड़ती है, तो कई कहानियां जन्म लेती हैं, कुछ खोने की, कुछ पाने की। ऐसी ही एक चमत्कारी कहानी सामने आई है बिहार के जमुई जिले की वीणा देवी की, जो कुंभ में अपने परिवार से बिछड़ गईं और चार दिन बाद अचानक अपने घर लौट आईं। लेकिन उनके लौटने की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं!

कैसे हुईं मेले में गुम?

वीणा देवी (65 वर्ष) अपने पोते अंकित कुमार राय और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ 27 जनवरी को गिरिडीह से प्रयागराज के महाकुंभ स्नान के लिए निकली थीं। अगले दिन यानी 28 जनवरी को उन्होंने आस्था की डुबकी लगाई और परिवार के साथ घर लौटने लगीं।

लेकिन तभी संगम के घाट पर अचानक भीड़ का रेला उमड़ा, हर कोई आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था। भागमभाग के बीच वीणा देवी अपने परिवार से अलग हो गईं। भीड़ इतनी थी कि उनकी आवाज किसी तक नहीं पहुंची, और वह अकेली रह गईं!

4 दिन का रहस्यमयी सफर!

परिवार के लोगों ने उन्हें खोजने की हर संभव कोशिश की, पुलिस से मदद भी ली, लेकिन उनका कोई सुराग नहीं मिला। किसी को उम्मीद नहीं थी कि चार दिन बाद वे अचानक घर पहुंच जाएंगी!

जब वे घर लौटीं, तो उनकी आपबीती किसी रोमांचक सफर से कम नहीं लगी। उन्होंने बताया कि भीड़ में बिछड़ने के बाद वे इधर-उधर भटकती रहीं। किसी से पूछताछ करते-करते वे ट्रेन में सवार हो गईं और पटना पहुंच गईं।

वहां से याददाश्त और हिम्मत के सहारे वे किसी तरह जसीडीह पहुंचीं, जहां उनके कुछ रिश्तेदार रहते थे। वहीं से उन्होंने अपने परिजनों को सूचना दी, और फिर अंततः सुरक्षित घर लौट आईं।

महाकुंभ और बिछड़ने की कहानियां!

महाकुंभ का इतिहास देखिए, तो यह सिर्फ एक धार्मिक मेला ही नहीं, बल्कि मानवीय कहानियों का संग्रह भी है। हर बार यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और कई लोग परिवार से बिछड़ भी जाते हैं।

इतिहास में 1954 का महाकुंभ खास तौर पर चर्चित रहा, जब जबरदस्त भगदड़ में हजारों लोग बिछड़ गए थे। हालांकि, समय के साथ प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की है, फिर भी इतनी विशाल भीड़ में खोने और मिलने की कहानियां हर कुंभ में सामने आती हैं।

घर लौटते ही खुशी का माहौल!

वीणा देवी के वापस आने की खबर सुनकर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके पोते अंकित ने बताया, "हमें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि दादी सुरक्षित घर लौट आएंगी। जब उन्होंने फोन किया, तो लगा जैसे कोई चमत्कार हो गया हो!"

परिवार के लोगों ने भगवान का धन्यवाद किया, और वीणा देवी ने भी अपनी इस यात्रा को एक आध्यात्मिक अनुभव बताया।

प्रशासन की अपील: रहें सतर्क!

महाकुंभ के दौरान प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे भीड़भाड़ वाले इलाकों में खास सतर्कता बरतें। बच्चों और बुजुर्गों के साथ आईडी कार्ड या फोन नंबर रखना जरूरी बताया गया है।

वीणा देवी का यह अनुभव बताता है कि थोड़ी सी सतर्कता हमें बड़ी मुश्किलों से बचा सकती है। हालांकि, उनकी कहानी का सुखद अंत हुआ, लेकिन सभी के साथ ऐसा हो, यह जरूरी नहीं!

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।