Lucknow Election: पुलिसकर्मियों का निलंबन, सपा ने उठाए गंभीर सवाल, जानें क्या हो रहा है चुनावों में!
उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के दौरान पुलिसकर्मियों के निलंबन और सपा की शिकायतों के बीच बवाल बढ़ा। चुनाव आयोग ने क्या कदम उठाए? जानें इस विवाद के सभी पहलु।
20 नवम्बर 2024: उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा उपचुनाव के बीच लखनऊ सहित कई जिलों से बवाल की खबरें सामने आ रही हैं। इस दौरान चुनाव आयोग ने कानपुर, मुजफ्फरनगर, और मुरादाबाद के कुल पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब चुनावी माहौल में समाजवादी पार्टी (सपा) लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठा रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं और चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका जताई है।
चुनाव आयोग का एक्शन: पांच पुलिसकर्मी निलंबित
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने पुष्टि की कि उपचुनाव के दौरान पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। इनमें कानपुर और मुजफ्फरनगर के दो-दो और मुरादाबाद के एक पुलिसकर्मी शामिल हैं। रिणवा ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान मतदाताओं की आईडी चेक करने का काम केवल पोलिंग बूथ पर मतदान कर्मियों का है। इसके अलावा, बाहर तैनात पुलिसकर्मियों को किसी भी मतदाता को रोकने या चेकिंग करने का अधिकार नहीं है। यदि ऐसा कोई मामला सामने आता है, तो चुनाव आयोग इसे गंभीरता से लेते हुए सख्त कार्रवाई करेगा।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव का आरोप
जैसे-जैसे चुनाव में मतदान हो रहे थे, समाजवादी पार्टी ने सोशल मीडिया के माध्यम से चुनाव आयोग से कई शिकायतें की। अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा और चुनाव आयोग पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भाजपा यह चुनाव वोट से नहीं, बल्कि खोट से जीतने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी मतदाताओं के वोट कार्ड चेक कर रहे हैं और उन्हें वोट डालने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं।
अखिलेश ने चुनाव आयोग की निष्कलंकता पर सवाल उठाए और कहा, "ऐसा लग रहा है कि चुनाव आयोग की इंद्रियां काम नहीं कर रही हैं। चुनाव शुरू होने से ही लगातार शिकायतें आ रही हैं।" उन्होंने पुलिसकर्मियों के नाम लेते हुए उनके हटाने की मांग की और जनता से अपील की कि अगर वे किसी कारण से वोट डालने से रोके जाएं, तो वे दोबारा अपने वोट का प्रयोग करने के लिए जाएं।
क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश के नौ विधानसभा सीटों पर चल रहे उपचुनाव में बवाल ने राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है। पहले ही राजनीतिक गर्मी में उलझे प्रदेश में इस तरह के विवादों ने चुनावी माहौल को और तिक्त बना दिया है। सपा ने आरोप लगाया है कि भाजपा अपने चुनावी लाभ के लिए चुनाव प्रक्रिया में दखल दे रही है, खासकर पुलिसकर्मियों के माध्यम से।
इस घटनाक्रम के बाद, चुनाव आयोग ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं और एकबार फिर सभी अधिकारियों को यह स्पष्ट कर दिया है कि चुनावी प्रक्रिया में कोई भी अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
क्या चुनाव आयोग की कार्रवाई सही है?
चुनाव आयोग के द्वारा पुलिसकर्मियों के निलंबन को लेकर कुछ लोगों ने इसे एक प्रभावी कदम माना, वहीं कुछ का मानना है कि यह चुनावी प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। सपा द्वारा आरोपित गड़बड़ियों के बीच चुनाव आयोग की कार्रवाई का उद्देश्य वोटिंग प्रक्रिया को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाना है।
विधानसभा उपचुनाव के परिणाम पर असर?
हालांकि, यह कहना अभी जल्दी होगा कि यह घटनाक्रम चुनाव परिणाम पर किस हद तक असर डाल सकता है, लेकिन राजनीतिक दलों और उनके समर्थकों में यह बात जरूर चर्चा का विषय बनी हुई है। अखिलेश यादव के आरोपों के बाद भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ आम जनता में भी कुछ असंतोष देखा जा रहा है।
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