Child Murder: लोहरदगा में 5 साल की बच्ची की हत्या: इंदर उरांव को फांसी की सजा, जानिए किस कदर छिपी थी उसकी घिनौनी सच्चाई

लोहरदगा जिले में 5 साल की बच्ची के दुष्कर्म और हत्या मामले में इंदर उरांव को फांसी की सजा सुनाई गई। जानिए इस कुख्यात अपराध के बारे में पूरी जानकारी और सजा का क्या असर होगा।

Jan 10, 2025 - 14:59
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Child Murder: लोहरदगा में 5 साल की बच्ची की हत्या: इंदर उरांव को फांसी की सजा, जानिए किस कदर छिपी थी उसकी घिनौनी सच्चाई
Child Murder: लोहरदगा में 5 साल की बच्ची की हत्या: इंदर उरांव को फांसी की सजा, जानिए किस कदर छिपी थी उसकी घिनौनी सच्चाई

झारखंड के लोहरदगा जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसे बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। इस कृत्य को अंजाम देने वाले इंदर उरांव को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। यह फैसला एक बार फिर से यह सवाल उठाता है कि हमारे समाज में बच्चों के खिलाफ बढ़ते हुए अपराधों का क्या समाधान है?

क्या था पूरा मामला?

यह घटना 24 दिसंबर 2022 की है, जब लोहरदगा जिले के बगड़ू थाना क्षेत्र के आर्या गांव में 5 साल की बच्ची अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी। उसी दौरान इंदर उरांव ने चॉकलेट का लालच देकर उसे और अन्य बच्चों को अपने साथ ले लिया। इंदर ने बच्ची को 50 रुपये दिए और उसे अपने साथ घूमने ले गया। कुछ देर बाद, बच्ची की मां ने उसे ढूंढ़ते हुए इंदर से पूछा कि उनकी बेटी कहां है।

इंदर घबराया और वहां से भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन जब बच्ची की मां ने उसका हाथ पकड़ा तो इंदर ने गला दबाकर उसे मारने का प्रयास किया। तभी कुछ ग्रामीण इकट्ठा हो गए और इंदर के खिलाफ सवाल उठाए।

इंदर उरांव का अपराध

जैसे ही ग्रामीणों ने इंदर से पूछताछ की, उसने अपनी कर्तूत कबूल करते हुए बताया कि उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की थी, लेकिन जब बच्ची ने रोना शुरू किया, तो उसने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। इंदर ने बच्ची के शव को बोरे में लपेट कर गेंदा फूल के पौधों के पास छुपा दिया ताकि किसी को शक न हो। यह देख कर हर किसी का दिल दहल गया।

इंदर उरांव का अपराधी इतिहास

इंदर उरांव की यह पहली बार नहीं है जब उसने ऐसा घिनौना अपराध किया है। इससे पहले भी उसने अपनी दादी की हत्या की थी, जो उसके खिलाफ पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज था। इस प्रकार का अपराधी केवल समाज के लिए खतरा बनता है, और यही कारण था कि अदालत ने उसे कड़ी सजा दी।

सजा पर बच्ची के परिजनों की प्रतिक्रिया

इस मामले में अदालत के फैसले के बाद बच्ची के परिजनों ने कहा कि भले ही उनकी बच्ची अब इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन इस सजा से अपराधियों को यह समझ में आ जाएगा कि ऐसे घिनौने कृत्यों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह सजा अन्य लोगों के लिए एक चेतावनी है कि समाज में बच्चों के साथ ऐसा कोई भी अपराध करने की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

न्याय की भूमिका और समाज की जिम्मेदारी

भारत में बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए 2012 में पोस्को एक्ट (POCSO Act) को लागू किया गया था, जो बच्चों के खिलाफ अपराधों को गंभीरता से लेता है और दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने का प्रयास करता है। लोहरदगा के इस मामले में अदालत द्वारा दी गई सजा, न्याय की प्रक्रिया को मजबूत करती है और अपराधियों को यह संदेश देती है कि किसी भी तरह के अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

क्या सजा से अपराध रुकेंगे?

लोहरदगा में इस तरह के मामलों की सजा से यह साबित होता है कि न्यायालय अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे ऐसे अपराध पूरी तरह से रुक पाएंगे? समाज को जागरूक करने, बच्चों की सुरक्षा बढ़ाने और दोषियों को कठोर दंड देने की दिशा में और प्रयास करने की आवश्यकता है।

लोहरदगा में हुई इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद इंदर उरांव को दी गई सजा निश्चित रूप से एक संदेश देती है कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों को लेकर समाज और न्याय व्यवस्था गंभीर है। हालांकि, यह केवल एक उदाहरण है, और बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार, समाज और न्यायालय को मिलकर काम करना होगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।