Latehar Crime: पुल निर्माण के मुंशी की उग्रवादियों ने की बेरहमी से हत्या, इलाके में दहशत
लातेहार जिले के उलगाड़ा गांव में पुल निर्माण के मुंशी की उग्रवादियों ने बेरहमी से हत्या कर दी। जानें पूरी घटना और पुलिस की जांच की ताजा स्थिति।
लातेहार: झारखंड के लातेहार जिले के उलगाड़ा गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी है। सदर थाना क्षेत्र के रहने वाले वार्ड सदस्य बाल गोविंद साव, जो औरंगा नदी पर बन रहे पुल के निर्माण में मुंशी का काम करते थे, उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। घटना को अंजाम देने वाले झारखंड संघर्ष जन्म मुक्ति मोर्चा के उग्रवादी बताए जा रहे हैं। हत्या के बाद क्षेत्र में भय और आक्रोश का माहौल है।
क्या है मामला?
बाल गोविंद साव औरंगा नदी पर बन रहे पुल के निर्माण कार्य में मुंशी थे। बीती रात वे एक साथी के साथ पुल साइडिंग पर थे। रात करीब 8 बजे 8 की संख्या में उग्रवादी पहुंचे और उन्हें पकड़कर नदी किनारे ले गए। वहां उनकी निर्मम पिटाई की गई और फिर धारदार हथियार से उनकी हत्या कर दी गई।
घटनास्थल पर उग्रवादियों ने प्रदीप सिंह नाम से एक पर्चा छोड़ा, जिसमें हत्या की जिम्मेदारी ली गई है। पर्चे में ठेकेदार की गलती को हत्या का कारण बताया गया है।
क्या थी हत्या की वजह?
मृतक के बेटे अरविंद साहू ने बताया कि उनके पिता से उग्रवादी रंगदारी की मांग कर रहे थे। उग्रवादियों की धमकियों के कारण परिवार ने बाल गोविंद को मुंशी का काम छोड़ने की सलाह दी थी। हालांकि, दिसंबर के बाद काम छोड़ने का फैसला किया गया था। लेकिन इससे पहले ही उनकी हत्या कर दी गई।
ग्रामीणों का गुस्सा और मांगे
घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस को शव उठाने से रोक दिया। ग्रामीणों का कहना था कि मृतक के परिवार को सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए, तभी शव को उठाने दिया जाएगा।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू की। पुलिस ने पर्चे और अन्य सुरागों के आधार पर उग्रवादियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। लातेहार थाना प्रभारी ने बताया कि अपराधियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
झारखंड में उग्रवाद का बढ़ता खतरा
झारखंड में उग्रवाद कोई नया विषय नहीं है। राज्य के कई हिस्सों में उग्रवादी संगठनों का प्रभाव है, जो ठेकेदारों, सरकारी परियोजनाओं और आम नागरिकों से रंगदारी वसूलने का काम करते हैं। पुल निर्माण जैसी विकास योजनाओं को बाधित करना और निर्दोष लोगों की हत्या जैसी घटनाएं राज्य में भय और असुरक्षा का माहौल बना देती हैं।
इतिहास से सीखने की जरूरत
झारखंड में उग्रवाद का इतिहास लंबे समय से विवादित रहा है। 90 के दशक से उग्रवादी संगठनों का प्रभाव बढ़ा है, जो गरीब और आदिवासी इलाकों में अपनी पैठ बनाते हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं और उग्रवाद को जड़ से खत्म करें।
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