कुशवाहा समाज में हंगामा: जमशेदपुर में कुर्सियों की जंग
जमशेदपुर के साकची स्थित कुश भवन में कुशवाहा संघ की आमसभा के दौरान जबरदस्त हंगामा हुआ। इस हंगामे में कुर्सियों का जमकर इस्तेमाल हुआ और मारपीट तक की नौबत आ गई।
जमशेदपुर के साकची स्थित कुश भवन में रविवार को कुशवाहा संघ जमशेदपुर की आमसभा के दौरान जबरदस्त हंगामा हुआ। इस हंगामे में कुर्सियों का जमकर इस्तेमाल हुआ और मारपीट तक की नौबत आ गई। इसमें पूर्व सचिव ओमप्रकाश भगत और उनके भाई समेत कई लोग घायल हो गए। सभा के दौरान वहां भारी अफरा-तफरी मच गई। ओमप्रकाश भगत के समर्थक उन्हें घायल अवस्था में साकची थाना लेकर गए, जहां से उन्हें इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल भेजा गया।
घटना की शुरुआत
ओमप्रकाश भगत ने बताया कि यह आमसभा साकची स्थित कुश भवन में बुलायी गई थी। सभा में निवर्तमान कमिटी के पदाधिकारी शिव कुमार भगत, राम कुमार सिंह समेत अन्य निवर्तमान कमिटी पर ही सर्वसम्मति बनाने का दबाव बना रहे थे। इस पर ओमप्रकाश भगत और अन्य ने आपत्ति जताई और चुनाव कराने की मांग की। इसी दौरान, भगत के अनुसार, शिव कुमार भगत, राम कुमार सिंह, शिव कुमार भगत के बेटे विकास, अशोक सिंह आदि ने कुर्सियों से हमला कर दिया। इसमें ओमप्रकाश भगत और उनके भाई को चोट लगी। मारपीट के दौरान वहां हड़कंप मच गया और भगत को साकची थाना ले जाया गया। बाद में उन्हें बेहतर इलाज के लिए टीएमएच रेफर कर दिया गया।
कुशवाहा संघ की प्रतिक्रिया
कुशवाहा संघ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में संघ के ट्रस्टी श्याम किशोर सिन्हा, नगीना सिंह, महेश प्रसाद, सिद्धेश्वर प्रसाद और गोपाल प्रसाद ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि रविवार को कुशवाहा संघ की वैधानिक आमसभा हुई। इसमें अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पु के नेतृत्व में निर्वाचन समिति का गठन किया गया। समिति ने आमसभा के निर्णय के आलोक में पूर्व से कार्यरत तदर्थ कमिटी को मान्यता प्रदान करते हुए निर्वाचित घोषित किया। इस कमिटी में संघ के अध्यक्ष शिव कुमार भगत, राम कुमार सचिव और अतुल आनंद को कोषाध्यक्ष निर्वाचित किया गया। तीनों से कहा गया कि वे चुनाव समिति की सहमति से विस्तारित कार्यकारिणी गठित करें।
निहितार्थ
इस घटना ने कुशवाहा समाज के भीतर चल रही खींचतान को उजागर कर दिया है। ऐसी घटनाएं न केवल समाज की एकता को प्रभावित करती हैं, बल्कि बाहरी दुनिया में भी नकारात्मक संदेश भेजती हैं। समाज के नेताओं को इस प्रकार की हिंसात्मक घटनाओं से बचते हुए आपसी मतभेदों को सुलझाने के प्रयास करने चाहिए।
जमशेदपुर की यह घटना यह दर्शाती है कि किसी भी संगठन या समाज में एकता और सहमति कितनी महत्वपूर्ण है। चुनाव और वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करके ही समाज की प्रगति संभव है। उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी और समाज के सदस्य मिलजुल कर काम करेंगे।
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