Kuchai Opium Smuggling: कुचाई में Opium तस्करों की गिरफ्तारी से मचा हड़कंप – पुलिस ने नष्ट की 5.3 एकड़ की अवैध फसल!
कुचाई के दलभंगा ओपी पुलिस ने गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए 5.3 एकड़ जमीन पर फैली अफीम की अवैध खेती नष्ट की और दो तस्करों को गिरफ्तार किया। पढ़ें पूरी खबर।
सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई क्षेत्र में पुलिस की एक बड़ी कार्रवाई ने तस्करी पर नकेल कसने का काम किया। दलभंगा ओपी पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर अफीम की अवैध खेती करने वालों पर शिकंजा कसते हुए दो तस्करों को गिरफ्तार किया और 5.3 एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट कर दिया।
गिरफ्तार तस्करों में सुरेंद्र सिंह मुंडा और सुखराम मुंडा का नाम शामिल है। पुलिस ने इनके पास से 24 अफीम के पौधे और एक मोटरसाइकिल बरामद की है। पुलिस की इस कार्रवाई से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।
कैसे हुआ ऑपरेशन का खुलासा?
जिले के एसपी मुकेश कुमार लुनायत ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि दलभंगा ओपी अंतर्गत बीजार, कुदाडीह, मेरोमजंगा और आसपास के पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की अवैध खेती की जा रही है। सूचना मिलते ही पुलिस ने एक विशेष टीम गठित की और बीजार गांव में कार्रवाई शुरू की।
यहां कुल 2.70 एकड़ जमीन पर अफीम की फसल उगाई गई थी। इसके अलावा, कुदाडीह गांव में 2 एकड़ और बारूहातु टोला लिपिजारी में 0.6 एकड़ जमीन पर अवैध फसल मिली। इन सभी को मिलाकर कुल 5.3 एकड़ में उगाई गई अफीम की फसल को पुलिस ने नष्ट कर दिया।
इतिहास में अफीम की खेती और तस्करी का प्रभाव
अफीम की खेती भारत में एक पुरानी प्रथा रही है, जो औपनिवेशिक काल से शुरू हुई। अंग्रेजों ने भारत में अफीम की खेती को बढ़ावा दिया था ताकि इसे चीन जैसे देशों में निर्यात किया जा सके। हालांकि आज यह खेती कई जगहों पर प्रतिबंधित है, लेकिन कुछ दूरस्थ क्षेत्रों में यह अभी भी तस्करी का प्रमुख स्रोत है।
कुचाई जैसे पहाड़ी इलाकों में अफीम की खेती तस्करों के लिए एक आसान विकल्प बन जाती है। इसका कारण है इन क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति, जो पुलिस की निगरानी से बचने में मददगार होती है। हालांकि पुलिस और प्रशासन लगातार इस पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रहे हैं।
एसपी ने दी भविष्य की योजना की जानकारी
एसपी मुकेश कुमार लुनायत ने बताया कि इस वर्ष अब तक कुल 203.66 एकड़ जमीन पर लगी अफीम की अवैध फसल को नष्ट किया जा चुका है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह अभियान भविष्य में भी जारी रहेगा और तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस की इस कार्रवाई में न केवल तस्करों को गिरफ्तार किया गया, बल्कि इलाके में एक सख्त संदेश भी दिया गया कि अवैध गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है।
कैसे होता है अफीम की तस्करी का जाल?
अफीम की खेती और तस्करी एक संगठित अपराध का हिस्सा है। इसकी शुरुआत पहाड़ी इलाकों में खेती से होती है, जहां स्थानीय लोग तस्करों के दबाव में या आर्थिक लाभ के लिए इसे उगाते हैं। इसके बाद, इस उत्पाद को बाजारों और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिए मादक पदार्थों के रूप में बेचा जाता है।
कुचाई की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तस्करी के इस नेटवर्क को खत्म करने के लिए पुलिस और प्रशासन को लगातार सतर्क रहना होगा।
पुलिस की कार्रवाई से क्षेत्र में बढ़ा विश्वास
पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई से क्षेत्र के लोगों में सुरक्षा का भाव बढ़ा है। स्थानीय लोग भी अब पुलिस का साथ देने और गुप्त सूचनाएं देने में रुचि दिखा रहे हैं।
इस तरह की घटनाएं प्रशासन को सतर्क रहने का संकेत देती हैं कि अवैध गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई ढिलाई न हो।
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