Kandra Road Accident: तेज रफ्तार बनी मौत का कारण
क्या तेज रफ्तार और लापरवाही से बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है? कांड्रा के पिंड्राबेड़ा मोड़ पर हुई भीषण हादसे की पूरी जानकारी पढ़ें और जानें कैसे रोकी जा सकती हैं ऐसी घटनाएं।
सरायकेला-खरसावां जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं ने एक बार फिर यातायात नियमों के महत्व पर सवाल खड़ा कर दिया है। गुरुवार देर शाम कांड्रा थाना क्षेत्र के पिंड्राबेड़ा मोड़ पर हुई एक दुर्घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। तेज रफ्तार ऑटो और बाइक की टक्कर ने न केवल बाइक सवार को गंभीर रूप से घायल कर दिया, बल्कि ऑटो में सवार यात्रियों को भी चोटिल कर दिया।
घटना का विवरण
दुर्घटना में शामिल तेज रफ्तार ऑटो (संख्या जेएच05 डीक्यू-1069) ने मोटरसाइकिल (संख्या जेएच05 डीआर-4565) को जोरदार टक्कर मार दी। इस टक्कर में बाइक सवार गंभीर रूप से घायल हो गया, और ऑटो पलट गया। हादसे के बाद घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों ने तुरंत कांड्रा थाना और एंबुलेंस को सूचना दी।
घटना के बाद एंबुलेंस ने मौके पर पहुंचकर घायल बाइक सवार को जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल पहुंचाया। वहीं, ऑटो चालक पुलिस के पहुंचने से पहले घायल यात्रियों को लेकर इलाज कराने की बात कहकर फरार हो गया।
यातायात नियमों की अनदेखी
एक तरफ जहां जिले में परिवहन विभाग द्वारा राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के तहत लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सड़क पर चलने वाले वाहन चालकों की लापरवाही इन प्रयासों को विफल कर रही है। तेज रफ्तार और यातायात नियमों की अनदेखी, सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण बने हुए हैं।
ग्रामीणों की भूमिका
घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने सक्रियता दिखाते हुए तुरंत पुलिस और एंबुलेंस को सूचित किया। उन्होंने घायलों को प्राथमिक सहायता दिलाने में भी मदद की। ग्रामीणों का कहना है कि पिंड्राबेड़ा मोड़ पर पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, और यह क्षेत्र सड़क सुरक्षा उपायों की कमी का शिकार है।
कानूनी कार्रवाई और जांच
पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। ऑटो चालक की तलाश जारी है, और दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। प्राथमिक जांच में यह पाया गया है कि ऑटो तेज रफ्तार में था, और संभवतः ओवरटेक करने की कोशिश कर रहा था।
सड़क सुरक्षा की मांग
पिंड्राबेड़ा मोड़ जैसे क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा उपायों की कमी स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को इस मोड़ पर स्पीड ब्रेकर लगाने और यातायात संकेतक लगाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, वाहन चालकों के लिए नियमित जागरूकता अभियान चलाने की मांग भी की जा रही है।
सरकार और जनता की भूमिका
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि सड़क सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। वाहन चालकों को भी यातायात नियमों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के तहत चलाए जा रहे अभियानों का उद्देश्य तभी सफल होगा जब लोग स्वयं जिम्मेदार बनेंगे।
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