Jharkhand: सुप्रीम कोर्ट में मंजूनाथ भजंत्री की याचिका – चुनावी कार्य से हटाए जाने का मामला

झारखंड के रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री की सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर 6 दिसंबर को सुनवाई होने वाली है। जानिए क्या है मामला और क्यों है यह विवादित।

Dec 2, 2024 - 17:30
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Jharkhand: सुप्रीम कोर्ट में मंजूनाथ भजंत्री की याचिका – चुनावी कार्य से हटाए जाने का मामला
Jharkhand: सुप्रीम कोर्ट में मंजूनाथ भजंत्री की याचिका – चुनावी कार्य से हटाए जाने का मामला

02 दिसम्बर, 2024: झारखंड के आईएएस अधिकारी और वर्तमान में रांची के डीसी (जिला कलेक्टर) मंजूनाथ भजंत्री की याचिका अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, इस याचिका पर 6 दिसंबर, 2024 को सुनवाई की संभावना है। इस मामले ने झारखंड के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में खासा ध्यान खींचा है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका का महत्व

मंजूनाथ भजंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दाखिल की है। उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट द्वारा 22 सितंबर को उनके खिलाफ किए गए आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें चुनावी कार्यों से अलग रखने के निर्देश दिए गए थे। भजंत्री ने याचिका में हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस आदेश से उनकी कार्यक्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ा है, और उनके पद पर रहते हुए चुनावी कार्यों से दूर रखना अनुचित है।

कहानी का पिछला पहलू

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब झारखंड हाईकोर्ट ने भजंत्री के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने और उन्हें चुनावी कार्यों से अलग रखने का आदेश दिया। इसके बाद, झारखंड सरकार ने चुनावी आचार संहिता लागू होने के दौरान भजंत्री को रांची डीसी के पद से हटा कर वरुण रंजन को यह पद सौंप दिया। यह कदम तब उठाया गया जब राज्य में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया शुरू हुई थी।

हालांकि, राजनीति और प्रशासनिक दबाव के चलते, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बाद में भजंत्री को रांची डीसी के पद पर फिर से नियुक्त किया। इस फैसले ने राज्य के राजनीतिक मंच पर कई सवाल खड़े कर दिए थे और प्रशासनिक चर्चाओं को नया मोड़ दिया।

भजंत्री का प्रशासनिक इतिहास

मंजूनाथ भजंत्री एक कुशल और अनुभवी आईएएस अधिकारी माने जाते हैं। उनके नेतृत्व में रांची प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं और योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है। उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण और कार्यक्षमता के लिए उन्हें स्थानीय स्तर पर सराहा जाता है। यह विवाद उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, जिसमें उनकी कार्यक्षमता और राज्य सरकार के आदेशों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती शामिल है।

राज्य की राजनीति पर असर

इस मामले ने झारखंड की राजनीति को भी गर्मा दिया है। सरकार और उच्च न्यायालय के आदेशों के बीच यह विवाद दिखाता है कि किस तरह प्रशासनिक और राजनीतिक फैसले एक-दूसरे से प्रभावित हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का परिणाम न केवल भजंत्री के करियर पर असर डालेगा, बल्कि झारखंड की राजनीतिक दिशा और सरकारी नीतियों पर भी इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है।

क्या उम्मीदें हैं?

सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्देश देती है और क्या यह मामला प्रशासनिक बदलावों या राज्य की चुनावी प्रक्रिया पर किसी तरह का प्रभाव डालता है। भजंत्री की याचिका का निर्णय आने वाले समय में कई सवालों के जवाब दे सकता है, और राज्य की राजनीति और प्रशासन की कार्यप्रणाली को नया दृष्टिकोण दे सकता है।

झारखंड में आईएएस अधिकारी मंजूनाथ भजंत्री की सुप्रीम कोर्ट में याचिका ने न केवल प्रशासनिक अधिकारियों के लिए बल्कि राजनीतिक नेताओं के लिए भी एक नई बहस शुरू कर दी है। 6 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई से ही यह स्पष्ट होगा कि इस विवाद का अंत क्या होगा और किस तरह से राज्य की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होगी।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।