Jharkhand Policy: झारखंड में आदिवासी-मूलवासी को 100% आरक्षण का बड़ा ऐलान, स्थानीय नीति से बदलेगा रोजगार का चेहरा

झारखंड सरकार ने आदिवासी और मूलवासी समुदायों को तृतीय-चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में 100% आरक्षण देने का ऐलान किया। जानिए नई स्थानीय नीति और सरकार की योजनाओं के बारे में।

Dec 12, 2024 - 09:28
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Jharkhand Policy: झारखंड में आदिवासी-मूलवासी को 100% आरक्षण का बड़ा ऐलान, स्थानीय नीति से बदलेगा रोजगार का चेहरा
Jharkhand Policy: झारखंड में आदिवासी-मूलवासी को 100% आरक्षण का बड़ा ऐलान, स्थानीय नीति से बदलेगा रोजगार का चेहरा

झारखंड में स्थानीय नीति को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में आदिवासी और मूलवासी को 100% आरक्षण मिलेगा। यह घोषणा झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने बुधवार को विधानसभा में अपने अभिभाषण के दौरान की। यह फैसला न केवल रोजगार के अवसरों को नई दिशा देगा बल्कि आदिवासी और मूलवासी समुदायों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने की ओर एक बड़ा कदम है।

आरक्षण की पूरी योजना

राज्यपाल के अभिभाषण के अनुसार, झारखंड सरकार जल्द ही एक नई स्थानीय नीति बनाएगी। इस नीति के तहत तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में आदिवासी और मूलवासी को 100% आरक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही, राज्य में महिलाओं के लिए सभी श्रेणियों में 33% आरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा।

97,500 नई नियुक्तियां

सरकार ने 97,500 पदों पर नई नियुक्तियों की भी घोषणा की है। इनमें 60,000 शिक्षक, 15,000 प्रधानाध्यापक, 2,500 लिपिक, 10,000 पुलिसकर्मी और 10,000 भाषा शिक्षक शामिल हैं। यह पहल राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के व्यापक अवसर प्रदान करेगी।

भाषा और संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा

सरकार ने जनजातीय भाषाओं जैसे हो, मुंडारी, कुड़ुख आदि को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की पहल करने का भी ऐलान किया। इससे राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित किया जाएगा।

पेंशन और वित्तीय मुद्दों पर बड़ा कदम

राज्य कर्मियों की पुरानी पेंशन को सुरक्षित रखते हुए, एनपीएस खातों में जमा राशि को केंद्र सरकार से वापस लाने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, केंद्र और उसकी कंपनियों से झारखंड के 1.36 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

आरक्षण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

झारखंड में आदिवासी और मूलवासी समुदायों को आरक्षण देने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। पिछली विधानसभा में आदिवासियों को 28%, दलितों को 12% और पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह विधेयक अभी केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय में लंबित है।

सरकार की रणनीति और गठबंधन की ताकत

राज्यपाल के अभिभाषण से साफ है कि इंडिया गठबंधन के पास सदन में प्रचंड बहुमत है। ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विश्वास प्रस्ताव पेश करने की आवश्यकता नहीं है।

झारखंड के लिए क्या बदलेगा?

यह स्थानीय नीति झारखंड के युवाओं को उनके अधिकार दिलाने के साथ-साथ राज्य की आर्थिक और सामाजिक संरचना में बड़ा बदलाव ला सकती है। स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता मिलने से न केवल पलायन रुकेगा बल्कि राज्य में स्थिरता और विकास भी बढ़ेगा।

सरकार की बड़ी चुनौती

हालांकि, केंद्र सरकार से आरक्षण विधेयक और सरना धर्म कोड को स्वीकृत कराना झारखंड सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

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