झारखंड में सूखे की आशंका: क्या मानसून की बेरुखी बढ़ा रही है किसानों की चिंता?
झारखंड में मानसून की कमी से किसानों की परेशानी बढ़ी, सरकार ने कार्ययोजना तैयार की। जानिए कैसे सूखे की आशंका ने किसानों और सरकार को चिंतित किया।
मानसून की बेरुखी से झारखंड की जमीं प्यासी
रांची। मानसून का आधा मौसम गुजर चुका है, लेकिन झारखंड की भूमि अभी भी प्यासी है। राज्य के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश हुई है, लेकिन ज्यादातर इलाकों में अभी भी बारिश का इंतजार है। इस मानसून की बेरुखी ने किसानों की परेशानी को बढ़ा दिया है और सरकार को भी चिंता में डाल दिया है। सरकार अब किसानों को राहत देने के लिए योजनाएं तैयार कर रही है।
सूखे की आशंका पर मुख्यमंत्री की बैठक
आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों के साथ बैठक की और सूखे की आशंका के मद्देनजर कार्ययोजना पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अब तक सामान्य से कम बारिश हुई है और इसे देखते हुए शीघ्र कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
मौसम विज्ञान केंद्र की जानकारी
रांची मौसम केंद्र के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि मानसून ट्रफ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन दोनों ही कमजोर पड़ चुके हैं। राज्य में कम बारिश की आशंका है और यह स्थिति अगले दो दिनों तक बनी रहेगी। 20 जुलाई के बाद मानसून के सक्रिय होने की उम्मीद है जिससे जबरदस्त बारिश हो सकती है।
कम बारिश के कारण किसानों की चिंता
1 जून से 18 जुलाई तक राज्य में 49 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव (लो प्रेशर) वाला क्षेत्र बन गया है, जो झारखंड को हल्का छूते हुए ओडिशा तट की ओर बढ़ रहा है। दूसरा साइक्लोनिक टर्फ जैसलमेर-गोपालपुर होते हुए पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ रहा है, जिससे झारखंड में हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होने की संभावना है।
कृषि कार्यों पर प्रभाव
झारखंड के 11 जिलों में कम बारिश के कारण धान की रोपाई नहीं हो सकी है। राज्य के किसान चिंतित हैं कि अगर मानसून ने धोखा दिया तो लगातार तीसरी बार सूखा पड़ सकता है। राज्य सरकार ने इस वर्ष 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक मात्र 1.02 लाख हेक्टेयर में ही धान लग पाया है। कुछ जिलों में छींटा विधि से धान लगाया गया है, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण किसानों का बिचड़ा खेतों में ही सूखने की स्थिति में है।
अकस्मिक फसल योजना
कृषि विभाग पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है और आकस्मिक फसल योजना पर काम शुरू कर दिया है। विभाग का मानना है कि अभी देर नहीं हुई है और किसान अगस्त तक खेतों में धान लगा सकते हैं। विभाग ने किसानों तक धान की आपूर्ति भी कर दी है।
तापमान की स्थिति
प्रदेश में अभी तापमान औसत 35 डिग्री सेल्सियस चल रहा है। देवघर, दुमका, धनबाद, गिरिडीह, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज में अधिकतम तापमान 35 और न्यूनतम 27 डिग्री, कोडरमा, चतरा, गढ़वा, लातेहार, पलामू में अधिकतम 35 और न्यूनतम 26 डिग्री, बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, रांची, खूंटी, गुमला में अधिकतम 33 और न्यूनतम 27 डिग्री और पश्चिमी व पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला में अधिकतम 35 और न्यूनतम 27 डिग्री तापमान दर्ज किया जा सकता है।
FAQs
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क्या झारखंड में सूखे की आशंका है? हां, राज्य में कम बारिश के कारण सूखे की आशंका बढ़ रही है।
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मुख्यमंत्री ने सूखे के मद्देनजर क्या कदम उठाए हैं? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शीर्ष अधिकारियों और मंत्रियों के साथ बैठक कर कार्ययोजना तैयार की है।
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कृषि विभाग ने किसानों के लिए क्या योजना बनाई है? कृषि विभाग ने आकस्मिक फसल योजना पर काम शुरू किया है और किसानों तक धान की आपूर्ति की है।
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मानसून की स्थिति क्या है? राज्य में मानसून ट्रफ और साइक्लोनिक सर्कुलेशन कमजोर पड़ चुके हैं। 20 जुलाई के बाद मानसून के सक्रिय होने की उम्मीद है।
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झारखंड के तापमान की स्थिति क्या है? राज्य में तापमान औसत 35 डिग्री सेल्सियस चल रहा है।
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किसानों की स्थिति कैसी है? कम बारिश के कारण किसान चिंतित हैं और धान की रोपाई नहीं हो पा रही है।
झारखंड में मानसून की कमी ने किसानों और सरकार को चिंतित कर दिया है। अब देखना है कि 20 जुलाई के बाद मानसून कितना सक्रिय होता है और क्या राज्य में सूखे की स्थिति से निपटने के लिए सरकार की कार्ययोजना सफल हो पाती है या नहीं।
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