Jharkhand Government's Big Announcement: दिल्ली जैसे स्कूल बनने का बड़ा प्लान, क्या है रणनीति?

झारखंड सरकार ने स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए बड़ा फैसला लिया है। जानें, दिल्ली जैसे स्कूलों के बनने का प्लान और इसके पीछे की पूरी रणनीति।

Dec 18, 2024 - 09:46
 0
Jharkhand Government's Big Announcement: दिल्ली जैसे स्कूल बनने का बड़ा प्लान, क्या है रणनीति?
Jharkhand Government's Big Announcement: दिल्ली जैसे स्कूल बनने का बड़ा प्लान, क्या है रणनीति?

झारखंड सरकार ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ने हाल ही में ऐलान किया कि राज्य में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के जैसे शिक्षा मॉडल को लागू किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य झारखंड के सरकारी स्कूलों को सुविधाओं, शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों के मामले में उन्नत करना है, ताकि यहां के बच्चे भी बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें।

क्या है झारखंड सरकार का प्लान?

झारखंड सरकार ने दिल्ली के स्कूलों की तर्ज पर अपने राज्य के स्कूलों को विकसित करने की योजना बनाई है। इसके तहत एक स्वतंत्र एजेंसी को नियुक्त किया जाएगा, जो राज्य के सरकारी स्कूलों का मूल्यांकन करेगी। यह एजेंसी स्कूलों के आधारभूत संसाधनों का मूल्यांकन कर यह सुनिश्चित करेगी कि स्कूलों को क्या-क्या सुविधाएं चाहिए और उनका क्या स्तर है।

इस एजेंसी का कार्य स्कूलों का डेटाबेस तैयार करना और उनकी स्थिति पर रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंपना होगा। इसके लिए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) ने एक पेशेवर एजेंसी के चयन के लिए टेंडर निकाले हैं।

दिल्ली के शिक्षा मॉडल का प्रभाव

दिल्ली सरकार ने अपने सरकारी स्कूलों में जो सुधार किए हैं, वे देशभर में चर्चा का विषय बन गए हैं। दिल्ली सरकार ने शिक्षा के 5 प्रमुख घटकों पर ध्यान केंद्रित किया है:

  1. इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं – दिल्ली के स्कूलों में भवन और कक्षाएं निजी स्कूलों की तरह तैयार की गईं।
  2. शिक्षक और प्रिंसिपल की ट्रेनिंग – शिक्षकों की नियमित ट्रेनिंग और उनके लिए नए शैक्षिक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई।
  3. स्वच्छता और रख-रखाव – स्कूलों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष ध्यान दिया गया, साथ ही स्कूलों के कार्यों के लिए प्रबंधकों की नियुक्ति की गई।
  4. अनुशासन और नियमित गतिविधियां – बच्चों के लिए नियमित कक्षाएं और पाठ्यक्रम के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने वाले पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए।
  5. हैप्पीनेस और उद्यमिता पाठ्यक्रम – बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए 'हैप्पीनेस' पाठ्यक्रम और कक्षा 9 से 12 के बच्चों के लिए 'उद्यमिता' पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई।

झारखंड में शिक्षा सुधार की आवश्यकता

झारखंड के सरकारी स्कूलों का बुनियादी ढांचा वर्तमान में कई समस्याओं का सामना कर रहा है। स्कूलों में बिजली, कार्यात्मक शौचालय, पेयजल और डिजिटल शिक्षण उपकरणों की कमी है। जेईपीसी के अनुसार, कई स्कूलों में शिक्षक की कमी भी है। रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में कई प्राथमिक विद्यालयों में 50 बच्चों के लिए केवल एक शिक्षक उपलब्ध है। इसके कारण बच्चों को शिक्षा में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

शिक्षा मंत्री का बयान

झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इस योजना को लेकर कहा कि वे खुद दिल्ली जाएंगे और वहां के सरकारी स्कूलों का दौरा करेंगे। वे शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर दिल्ली के स्कूलों की बेहतर व्यवस्थाओं को झारखंड में लागू करेंगे। उनका मानना है कि जैसे संपन्न परिवारों के बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ाई करते हैं, वैसे ही सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए।

आखिर क्यों जरूरी है ये बदलाव?

झारखंड के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जो बच्चों की शिक्षा में रुकावट डालता है। इससे न केवल राज्य की शिक्षा व्यवस्था कमजोर हो रही है, बल्कि बच्चों का भविष्य भी प्रभावित हो रहा है। यदि झारखंड सरकार दिल्ली के स्कूलों के समान मॉडल लागू करने में सफल रहती है, तो इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी और राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा।

कैसे होगा बदलाव?

झारखंड सरकार द्वारा गठित एजेंसी स्कूलों का वैज्ञानिक मूल्यांकन करेगी और वहां के संसाधनों की कमी की पहचान करेगी। इसके बाद, एजेंसी उन स्कूलों के लिए एक कार्य योजना तैयार करेगी, जिसमें हर स्कूल के लिए आवश्यक सुधार और संसाधनों का निर्धारण किया जाएगा। इसके तहत न केवल स्कूलों का इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारा जाएगा, बल्कि शिक्षकों की ट्रेनिंग और छात्रों के लिए डिजिटल उपकरणों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow