Jeenagora Raid: सीआईएसएफ ने पांच टन कोयला जब्त, कोयला चोरों में मचा हड़कंप
अलकडीहा में सीआईएसएफ की बड़ी कार्रवाई, पांच टन कोयला जब्त। कोयला चोरी के रैकेट का पर्दाफाश। जानें कैसे होता है कोयला तस्करी का गोरखधंधा।
अलकडीहा, 10 दिसंबर 2024: अलकडीहा क्षेत्र के जीनागोरा माड़ी गोदाम के समीप रविवार को सीआईएसएफ (CISF) की टीम ने कोयला चोरी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। छापामारी में लगभग पांच टन कोयला जब्त किया गया है। जैसे ही यह कार्रवाई शुरू हुई, कोयला चोरों में अफरातफरी मच गई, और वे मौके से भाग खड़े हुए।
क्या है मामला?
जानकारी के मुताबिक, अलकडीहा क्षेत्र में कोयला चोरी की घटनाएं लगातार बढ़ रही थीं। चोर बड़े पैमाने पर परियोजनाओं और लोडिंग पॉइंट्स से कोयला चोरी कर झाड़ियों में छिपा देते थे। बाद में साइकिल और मोटरसाइकिल के माध्यम से इसे तस्करों तक पहुंचाया जाता था।
इस बार, सीआईएसएफ की मुस्तैदी ने चोरों के इस खेल पर पानी फेर दिया। जब्त कोयला जीनागोरा प्रबंधन को सौंप दिया गया है, और क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
कैसे होती है कोयला चोरी?
क्षेत्रीय सूत्रों के अनुसार, कोयला चोरी का यह रैकेट सुनियोजित तरीके से काम करता है।
- चोर परियोजनाओं और लोडिंग पॉइंट्स में घुसपैठ करते हैं।
- चोरी किया गया कोयला पास के झाड़ियों या गोदामों में छिपा दिया जाता है।
- साइकिल, मोटरसाइकिल या छोटी गाड़ियों के जरिए कोयला तस्करों तक पहुंचाया जाता है।
- तस्कर इस कोयले को ब्लैक मार्केट में बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं।
सीआईएसएफ की सख्ती
सीआईएसएफ की इस कार्रवाई के बाद कोयला चोरों में दहशत का माहौल है। टीम ने छापेमारी के दौरान गोदाम के पास भारी मात्रा में कोयला बरामद किया। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी।
इतिहास में कोयला तस्करी के बड़े मामले
बिहार और झारखंड जैसे खनिज संपन्न राज्यों में कोयला चोरी और तस्करी का इतिहास पुराना है।
- 1970 के दशक में बड़े पैमाने पर कोयला तस्करी के रैकेट का खुलासा हुआ था।
- 1990 के दशक में झारखंड के धनबाद क्षेत्र में कोयला माफिया ने अपनी पैठ मजबूत की।
- समय-समय पर प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद, यह समस्या आज भी बरकरार है।
स्थानीय लोगों की राय
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि कोयला चोरी के कारण स्थानीय विकास प्रभावित हो रहा है। चोरी के इस गोरखधंधे से क्षेत्रीय परियोजनाओं को आर्थिक नुकसान हो रहा है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से नियमित गश्त की मांग की है ताकि क्षेत्र को इस समस्या से मुक्त किया जा सके।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
खनिज विशेषज्ञों का मानना है कि कोयला चोरी का यह रैकेट केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय है। कोयला चोरी से सरकार को भारी आर्थिक नुकसान होता है, जिससे खनिज क्षेत्र की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
आगे की योजना
सीआईएसएफ ने स्पष्ट किया है कि इस तरह की छापेमारी से कोयला चोरी पर लगाम लगाई जाएगी। साथ ही, स्थानीय प्रशासन से सहयोग कर सुरक्षा बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है।
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