Jamtara Initiative: कुष्ठ पीड़ितों की जिंदगी बदलेगी! APAL INDIA की नई पहल से रोजगार का सपना होगा सच

जामताड़ा के स्नेहपुर कुष्ठ कॉलोनी में APAL INDIA और सासा कावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन ने कुष्ठ पीड़ित परिवारों को रोजगार से जोड़ने की नई पहल शुरू की। जानें इस मिशन की पूरी कहानी।

Feb 15, 2025 - 19:22
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Jamtara Initiative: कुष्ठ पीड़ितों की जिंदगी बदलेगी! APAL INDIA की नई पहल से रोजगार का सपना होगा सच
Jamtara Initiative: कुष्ठ पीड़ितों की जिंदगी बदलेगी! APAL INDIA की नई पहल से रोजगार का सपना होगा सच

जामताड़ा: झारखंड के जामताड़ा जिले में स्थित स्नेहपुर कुष्ठ कॉलोनी में रहने वाले समाज से बहिष्कृत परिवारों के लिए 15 फरवरी 2025 एक नई उम्मीद लेकर आया। इस दिन, सासा कावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन के सीईओ गौरव सेन का आगमन हुआ, जिनका APAL INDIA के उपाध्यक्ष जवाहर राम पासवान ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इस खास मौके पर APAL INDIA ने कुष्ठ पीड़ितों के पुनर्वास और उन्हें रोजगार से जोड़ने की एक नई पहल की घोषणा की।

कुष्ठ रोगियों के लिए क्यों जरूरी है यह पहल?

झारखंड समेत पूरे भारत में कुष्ठ रोगियों को आज भी समाज से अलग-थलग रखा जाता हैमधुसूदन तिवारी, APAL झारखंड के लीडर के अनुसार, APAL INDIA देश के 18 राज्यों और झारखंड की 57 कुष्ठ कॉलोनियों में काम कर रही है, जहां हजारों परिवार वर्षों से समाज की मुख्यधारा से कटे हुए हैं।

  • इन परिवारों को रोजगार के अवसर नहीं मिलते, जिससे उन्हें भिक्षावृत्ति का सहारा लेना पड़ता है
  • कुष्ठ रोगियों के बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रहते हैं, जिससे उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है
  • सरकारी योजनाओं का लाभ कई मामलों में इन परिवारों तक नहीं पहुंचता, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं।

इतिहास में झांकें: क्यों बहिष्कृत हुए कुष्ठ रोगी?

भारत में कुष्ठ रोगियों के बहिष्कार की कहानी सदियों पुरानी है। करीब 60-70 साल पहले, जब कुष्ठ रोग को एक अछूत बीमारी माना जाता था, तब इन मरीजों को शहरों और गांवों से बाहर निकाल दिया जाता था

  • समाज में घुलने-मिलने की इजाजत नहीं थी, इसलिए इन रोगियों ने रेलवे की खाली जमीनों, जंगलों और निर्जन इलाकों में अपनी कॉलोनियां बना लीं
  • कोई रोजगार न मिलने के कारण भिक्षावृत्ति ही एकमात्र सहारा बन गई
  • अब भी, जब चिकित्सा विज्ञान कुष्ठ रोग को पूरी तरह ठीक करने में सक्षम है, तब भी समाज इन लोगों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं

APAL INDIA का मिशन: कब बदलेगी तस्वीर?

APAL INDIA इन कुष्ठ पीड़ित परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन पर काम कर रही है। संगठन सरकार से मांग कर रहा है कि –
इन परिवारों को कानूनी रूप से पहचान दी जाए ताकि वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।
बच्चों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए ताकि वे भी समाज के साथ कदम मिला सकें।
रोजगार के अवसर दिए जाएं ताकि उन्हें भिक्षावृत्ति से छुटकारा मिले और वे आत्मनिर्भर बनें।

सामाजिक स्वीकार्यता ही सबसे बड़ी चुनौती!

आज भी, समाज कुष्ठ रोगियों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है।

  • स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी – कुष्ठ रोगियों के लिए विशेष अस्पताल बहुत कम हैं।
  • रोजगार के अवसर सीमित – कई जगहों पर इन्हें नौकरी नहीं दी जाती
  • सरकारी योजनाओं से दूरी – पहचान पत्र न होने की वजह से ये परिवार सरकारी सहायता से वंचित रहते हैं

कब होगा बदलाव?

यदि समाज और सरकार दोनों मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, तो तस्वीर बदल सकती है। APAL INDIA का मानना है कि –
 यदि कुष्ठ रोगियों को रोजगार दिया जाए, तो वे भी समाज में सम्मान से जीवन जी सकते हैं
 यदि उनके बच्चों को सही शिक्षा मिले, तो वे भी मुख्यधारा का हिस्सा बन सकते हैं
 यदि समाज का नजरिया बदले, तो कुष्ठ रोगियों को भी बराबरी के अधिकार मिल सकते हैं

अंतिम सवाल: क्या हम इन परिवारों को समाज में जगह देंगे?

आज जब चिकित्सा विज्ञान ने कुष्ठ रोग को पूरी तरह ठीक करने में सफलता पाई है, तब क्या यह सही नहीं होगा कि हम इन्हें भी अपने समाज का हिस्सा मानें?
क्या सरकार और समाज इन पीड़ित परिवारों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देंगे?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।