Jamshedpur Visit: बीएड छात्राओं का बाराद्वारी ओल्ड एज होम में सेवा और अपनापन
ग्रेजुएट कॉलेज के बीएड विभाग की छात्राओं ने जमशेदपुर के ओल्ड एज होम और निर्मल हृदय का दौरा किया। जानिए इस शैक्षणिक भ्रमण के दौरान कैसे दिखी मानवीय संवेदनाएं और समाज सेवा का संदेश।
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जमशेदपुर, 3 दिसंबर: विश्व विकलांग दिवस के अवसर पर ग्रेजुएट कॉलेज, जमशेदपुर के बीएड विभाग की छात्राओं ने ओल्ड एज होम और निर्मल हृदय (बाराद्वारी) का शैक्षणिक भ्रमण किया। इस विशेष कार्यक्रम में छात्राओं ने बुजुर्गों और जरूरतमंदों के साथ समय बिताकर उन्हें मानवीय संवेदनाओं और सेवा का अनुभव दिया।
इस कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज की प्राचार्या डॉ. वीणा सिंह प्रियदर्शी के निर्देश पर किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "हर किसी के जीवन में बुढ़ापा आता है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन लोगों की मदद करें, जिनका इस संसार में कोई नहीं है।"
समाज सेवा का संदेश
बीएड विभागाध्यक्ष डॉ. विशेश्वर यादव ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ठंड के इस मौसम में, बुजुर्गों और जरूरतमंदों की मदद करना समाज की जिम्मेदारी है। छात्राओं और शिक्षिकाओं ने गर्म कपड़े, खाद्य सामग्री, बिस्कुट, फिनायल, डिटॉल, और अन्य जरूरी सामान बांटकर समाज सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा, "यह पहल न केवल सेवा का मौका देती है, बल्कि छात्रों को सामाजिक जिम्मेदारी भी सिखाती है।"
अभिभूत हुए बुजुर्ग और जरूरतमंद
ओल्ड एज होम और निर्मल हृदय के बुजुर्गों ने इस पहल की सराहना की। उन्हें यह अपनापन और सम्मान मिला, जिसकी अक्सर उन्हें कमी महसूस होती है। छात्राओं ने उनके साथ बातचीत की, उनकी कहानियां सुनीं और उन्हें यह एहसास दिलाया कि वे समाज के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।
कार्यक्रम में शिक्षकों और छात्रों की भूमिका
इस कार्यक्रम में प्रो. डोरिस दास ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि इस तरह के प्रयास छात्रों को व्यावहारिक शिक्षा के साथ संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाते हैं।
इस अवसर पर उपस्थित अन्य शिक्षक थे:
- डॉ. पूनम ठाकुर
- डॉ. अपराजिता
- डॉ. श्वेता बागड़े
- डॉ. जया शर्मा
- प्रो. दीपिका कुजूर
- डॉ. रानी सिंह
- प्रो. प्रियंका भगत
- डॉ. मीनू वर्मा
- प्रो. प्रेमलता पुष्प
छात्राओं में संजना सिंह, पूजा नाग, सुतापा, रितु, रिचा, रुचि, प्रियंका, श्वेता, संगीता, मेघा, नेहा, एलिना, रंजना, और अंजलि का योगदान महत्वपूर्ण रहा।
ओल्ड एज होम: एक मानवीय पहल
ओल्ड एज होम का इतिहास हमें यह बताता है कि ये स्थान बुजुर्गों को सम्मान और देखभाल प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन समाज की व्यस्तता और भागदौड़ के बीच, ऐसे घरों में रहने वाले लोग अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं।
जमशेदपुर की इस पहल ने यह दिखा दिया कि थोड़ी सी मानवीय संवेदनाएं और समय देने से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
शैक्षणिक भ्रमण से सीखने का अवसर
यह कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिक भ्रमण नहीं था, बल्कि एक गहरी सीख का अवसर था। छात्रों ने समझा कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती, बल्कि समाज की भलाई के लिए भी जिम्मेदारी है।
मानवीय मूल्यों का महत्व
इस तरह के कार्यक्रम समाज में सकारात्मकता लाने के साथ-साथ छात्रों को सामाजिक जिम्मेदारियों का अहसास कराते हैं। ग्रेजुएट कॉलेज के बीएड विभाग ने इस पहल के जरिए यह संदेश दिया कि छोटी-छोटी पहलें भी बड़ा बदलाव ला सकती हैं।
जमशेदपुर की यह कहानी हर उस इंसान को प्रेरणा देती है, जो समाज के लिए कुछ करने का जज्बा रखता है।
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