Jamshedpur Rural: सोलर जलमीनार ठप, ग्रामीण पानी के लिए कर रहे संघर्ष!

चाकुलिया के कटाशमारा गांव में सोलर जलमीनार एक साल से ठप है, जिससे ग्रामीण पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जानें, क्यों ग्रामीणों को एक किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है और क्या है इस समस्या का समाधान।

Jan 23, 2025 - 13:34
 0
Jamshedpur Rural: सोलर जलमीनार ठप, ग्रामीण पानी के लिए कर रहे संघर्ष!
Jamshedpur Rural: सोलर जलमीनार ठप, ग्रामीण पानी के लिए कर रहे संघर्ष!

जमशेदपुर, 25 जनवरी: चाकुलिया प्रखंड के लोधाशोली पंचायत के कटाशमारा गांव के पूर्णाडीह आदिवासी टोला में मुख्यमंत्री नल-जल योजना के तहत निर्मित सोलर जलमीनार पिछले एक साल से ठप पड़ा है। पानी की समस्या ने यहां के ग्रामीणों के जीवन को मुश्किल बना दिया है। खेतों के कुएं का पानी ही अब इनकी प्यास बुझाने का एकमात्र सहारा बन गया है।

2019-20 में बनी योजना, अब बन रही परेशानी

कटाशमारा के आदिवासी टोला में 2019-20 में 4.20 लाख रुपये की लागत से सोलर जलापूर्ति योजना का निर्माण किया गया था। इसका उद्देश्य ग्रामीणों को स्वच्छ और आसानी से उपलब्ध पानी मुहैया कराना था। लेकिन पिछले एक वर्ष से यह योजना पूरी तरह से ठप पड़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या को लेकर उन्होंने कई बार पंचायत के जनप्रतिनिधियों और संबंधित अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

ग्रामीणों का संघर्ष

गांव के सुनाराम मुर्मू, दुर्गा मांडी, सागर मांडी और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जलमीनार के ठप होने के कारण अब उन्हें एक किलोमीटर दूर खेत में बने कुएं से पानी लाना पड़ता है। यह कुआं न तो स्वच्छता मानकों पर खरा उतरता है और न ही यह सुविधा के लिहाज से उपयुक्त है।

ग्रामीणों का कहना है कि पानी की यह समस्या अगर जल्द हल नहीं की गई, तो आने वाले गर्मी के मौसम में हालात और भी बदतर हो सकते हैं।

मुख्यमंत्री नल-जल योजना: क्या है उद्देश्य?

मुख्यमंत्री नल-जल योजना झारखंड सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। यह योजना खासकर उन इलाकों के लिए बनाई गई थी, जहां पानी की भारी किल्लत थी। हालांकि, कटाशमारा में इस योजना के ठप हो जाने से इसके उद्देश्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।

पेयजल समस्या का बढ़ता खतरा

गांव के बानगी मांडी और सलमा मुर्मू ने बताया कि गर्मी के मौसम में पानी की मांग बढ़ जाती है, लेकिन जलमीनार ठप रहने से टोला के लोग गंभीर जल संकट का सामना कर सकते हैं।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर गर्मी शुरू होने से पहले जलमीनार की मरम्मत नहीं की गई, तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

पेयजल संकट पर विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी योजनाएं जब ठप हो जाती हैं, तो इसका सीधा असर ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। स्वच्छ पानी की अनुपलब्धता से पानी जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

ग्रामीणों की अपील और उम्मीद

ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि जलमीनार की मरम्मत जल्द से जल्द की जाए। उन्होंने पंचायत और विभागीय अधिकारियों से अपील की है कि गर्मी के मौसम से पहले इस समस्या का समाधान किया जाए।

कटाशमारा का ऐतिहासिक महत्व

चाकुलिया प्रखंड का यह क्षेत्र अपने आदिवासी समाज और उनकी परंपराओं के लिए जाना जाता है। पूर्णाडीह जैसे टोले में आदिवासी समुदाय की बड़ी आबादी रहती है, जो अपनी संस्कृति और प्रकृति प्रेम के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन जल समस्या ने इनके जीवन में कठिनाइयां बढ़ा दी हैं।

जल संकट का हल कब?

कटाशमारा के ग्रामीणों की इस समस्या का हल कब तक होगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। हालांकि, उनकी अपील और संघर्ष यह दर्शाता है कि वे अपने अधिकारों के लिए पूरी तरह जागरूक हैं।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow