Jamshedpur Makar Sankranti Haat : Jamshedpur में मकर संक्रांति की धूम, हाट में बढ़ी खरीदारी और बांस की टोकरी की मांग!
बहरागोड़ा के साप्ताहिक हाट में मकर संक्रांति के मौके पर ग्रामीणों की भीड़ और बांस की टोकरी की बढ़ी हुई मांग। जानें इस पर्व से जुड़ी खास बातें और हाट में क्या-क्या बिक रहा है!
जमशेदपुर, 9 जनवरी 2025: बहरागोड़ा के ग्रामीण क्षेत्र में मकर संक्रांति का पर्व आते ही बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। इस बार की मकर संक्रांति के दौरान बहरागोड़ा के साप्ताहिक हाट में खासा उत्साह देखने को मिला। ग्रामीणों की भीड़, खासकर बांस की टोकरी की बढ़ती हुई मांग और मकर संक्रांति के पारंपरिक पकवानों का इंतजार हर किसी को है।
मकर संक्रांति का त्योहार और इसकी खासियत
मकर संक्रांति, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, जो खासतौर पर उत्तर भारत और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो फसल के मौसम की शुरुआत का संकेत है। इस दिन को लेकर खास उत्साह देखा जाता है, और यह पर्व ग्रामीण जीवन में काफी अहमियत रखता है।
बहरागोड़ा के साप्ताहिक हाट में इस त्योहार की बयार ने पूरी बाजार को रंगीन बना दिया है। खासकर, बांस की टोकरी की मांग ने हाट में नयापन ला दिया है। 20 रुपये से लेकर 200 रुपये तक की कीमत में यह टोकरी बिक रही है। इन टोकरी का उपयोग खासतौर पर मकर संक्रांति के दिन पकवानों के लिए किया जाता है।
बांस की टोकरी: एक अनमोल सामान
मकर संक्रांति के अवसर पर बांस की टोकरी का महत्व बहुत अधिक होता है। पहले के समय में इसे पकवानों को लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब यह पारंपरिक किचन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। बांस की टोकरी इस समय विशेष रूप से मकर संक्रांति के दिन घरों में मिठाइयां और अन्य पकवान रखने के लिए इस्तेमाल होती है।
साथ ही, बांस की टोकरी के अलावा हाट में अन्य सामानों की भी भरमार है। मकर संक्रांति के मौके पर घर सजाने के लिए विभिन्न प्रकार के कपड़े, सजावटी सामान और अन्य उपयोगी वस्तुएं भी बिक रही हैं। इस पर्व के दौरान घरों में मिट्टी से सजावट की जाती है और नए धान से पीठा बनाकर परिवार के सदस्य इसका आनंद लेते हैं।
गुड़ पीठा और मकर संक्रांति का स्वाद
मकर संक्रांति के साथ जुड़ी सबसे खास चीज़ों में से एक है गुड़ पीठा। यह एक पारंपरिक मिठाई है, जो खासकर इस पर्व के दौरान घर-घर बनती है। गुड़ और तिल से बनी यह मिठाई न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि इसके साथ जुड़ी परंपराएं भी एक अलग ही महत्व रखती हैं। गुड़ पीठा बनाने की परंपरा में स्थानीय महिलाएं जुटी रहती हैं, और हर घर में इस मिठाई का स्वाद लिया जाता है।
पारंपरिक कला और संस्कृति का प्रसार
मकर संक्रांति के दौरान बहरागोड़ा के हाट में टुसू की प्रतिमाओं की बिक्री भी हो रही है। टुसू, मकर संक्रांति के समय में खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में बनाई जाती है, और यह एक पारंपरिक कला है जो बहरागोड़ा समेत आसपास के गांवों में खूब प्रचलित है। यह प्रतिमाएं पूजा अर्चना के लिए और घरों की सजावट के लिए उपयोग की जाती हैं।
ग्रामीण जीवन में मकर संक्रांति का महत्व
बहरागोड़ा जैसे ग्रामीण इलाकों में मकर संक्रांति लगभग एक महीने तक मनाई जाती है। इस दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं, और विभिन्न प्रकार के पकवानों का आनंद लेते हैं। खेतों में काम करने वाले किसान अपने मेहनत के फल के रूप में इस पर्व को मनाते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में मकर संक्रांति के दौरान कृषि कार्यों को लेकर विशेष पर्वों का आयोजन किया जाता है, और यह मौसम बदलाव के प्रतीक के रूप में होता है। इन आयोजनों में लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और एक-दूसरे को तिल-गुड़ खिलाकर अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं।
मकर संक्रांति न सिर्फ भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। बहरागोड़ा के साप्ताहिक हाट की यह तस्वीर इस पर्व की गहरी सांस्कृतिक जड़ों को दर्शाती है। यहां पर हर व्यक्ति उत्साह और उमंग के साथ इस पर्व का आनंद लेता है, और यह पर्व सामूहिकता और पारंपरिक धरोहर के संरक्षण का प्रतीक बनकर सामने आता है।
इस पर्व के दौरान हाट में बढ़ी हुई खरीदारी, बांस की टोकरी, गुड़ पीठा, और टुसू की प्रतिमाएं, सब मिलकर इस पर्व को खास बनाती हैं। बहरागोड़ा और आसपास के क्षेत्रों में इस पर्व की धूम अगले कुछ दिनों तक बनी रहेगी।
What's Your Reaction?