Jamshedpur Lynching: चाकुलिया में बकरी चोरी के आरोप में दो युवकों की पीट-पीटकर हत्या, गांव में तनाव!
जमशेदपुर के चाकुलिया में बकरी चोरी के आरोप में दो युवकों की बेरहमी से पिटाई, मौके पर ही एक की मौत, दूसरे ने अस्पताल में दम तोड़ा। गांव में तनाव, पुलिस जांच में जुटी।
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झारखंड के जमशेदपुर जिले में एक और मॉब लिंचिंग की घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। चाकुलिया थाना क्षेत्र के जोड़सा गांव में शुक्रवार को ग्रामीणों ने बकरी चोरी के आरोप में दो युवकों को पकड़ लिया और उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इस दर्दनाक घटना में एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने भी दम तोड़ दिया।
कैसे हुआ यह दर्दनाक हादसा?
शुक्रवार को सुबह-सुबह जोड़सा गांव में अफवाह फैली कि कुछ युवक चोरी के इरादे से घूम रहे हैं। ग्रामीणों ने शक के आधार पर दो युवकों को पकड़ लिया और बिना पुलिस को सूचित किए उनकी पिटाई शुरू कर दी। इस निर्मम हिंसा के दौरान एक युवक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल को तुरंत एमजीएम अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने भी दम तोड़ दिया।
मृतकों में एक की पहचान भोलानाथ महतो के रूप में हुई है, जो चाकुलिया के जीरा पाड़ा का रहने वाला था। दूसरे युवक की पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
गांव में तनाव, पुलिस अलर्ट पर
घटना के बाद से जोड़सा गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है। पुलिस ने इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है और जांच शुरू कर दी है। प्रशासन का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और किसी भी तरह की अफवाह फैलाने वालों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है।
चाकुलिया थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस ने अभी तक कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है और मामले की छानबीन जारी है।
क्या कहते हैं पिछले मामलों के आंकड़े?
भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बीते कुछ सालों में बढ़ी हैं। झारखंड में ही 2019 में तबरेज अंसारी नामक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी, जिसने पूरे देश में उबाल ला दिया था। इसी तरह 2017 में रामगढ़ जिले में गोहत्या के शक में अलीमुद्दीन अंसारी की भीड़ ने जान ले ली थी। इन मामलों में पुलिस की लापरवाही और भीड़ के उग्र रवैये पर कई सवाल उठे थे।
झारखंड जैसे राज्यों में ग्रामीण न्याय की धारणा अभी भी मजबूत है, जहां लोग पुलिस के बजाय खुद सजा देने में यकीन रखते हैं। ऐसे मामलों में अक्सर अफवाहें और भावनाएं हिंसा को बढ़ावा देती हैं, जिससे निर्दोष लोग भी शिकार हो जाते हैं।
कानून और मॉब लिंचिंग: क्या कहती है सरकार?
भारत में मॉब लिंचिंग रोकने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी तक इसे रोकने के लिए कोई सख्त केंद्रीय कानून नहीं बना है। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। झारखंड सरकार ने भी 2021 में मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक सख्त कानून पास किया था, जिसमें दोषियों को उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान है।
आगे क्या होगा?
चाकुलिया मॉब लिंचिंग की घटना से साफ है कि भारत में अब भी कानून को हाथ में लेने की प्रवृत्ति बनी हुई है। पुलिस ने दोषियों की तलाश शुरू कर दी है, लेकिन असली सवाल यह है कि ऐसी घटनाओं को रोका कैसे जाए?
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कानून व्यवस्था को सख्त करने की जरूरत है। पुलिस प्रशासन को तेजी से कार्रवाई करनी होगी और लोगों में जागरूकता लानी होगी कि किसी भी संदेह या आरोप की जांच का काम सिर्फ कानून का है, भीड़ का नहीं।
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