Jamshedpur Kite Accident: पतंग उड़ाते वक्त 8 साल का बच्चा हाईटेंशन तार की चपेट में आकर, बुरी तरह झुलसा!
जमशेदपुर के गोविंदपुर में 8 वर्षीय बच्चा पतंग उड़ाने के दौरान हाईटेंशन तार की चपेट में आकर बुरी तरह से झुलस गया। जानिए पूरी घटना के बारे में।
जमशेदपुर (Govindpur) में सोमवार सुबह एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। गोविंदपुर थाना क्षेत्र के यशोदानगर में एक 8 वर्षीय बच्चा पतंग उड़ाते हुए हाईटेंशन तार की चपेट में आ गया और गंभीर रूप से झुलस गया। यह हादसा इस हद तक चौंकाने वाला था कि इलाके के लोग सकते में आ गए और घटना की जानकारी पुलिस को दी गई। लेकिन यह पूरी घटना कई सवालों को जन्म देती है, जिनका उत्तर ढूंढना बेहद जरूरी है।
एक सामान्य दिन का दुर्भाग्यपूर्ण मोड़
8 वर्षीय अभिनव भानु, जो एक सामान्य बच्चा था, स्कूल की छुट्टी के चलते अपने दोस्तों के साथ घर पर ही पतंग उड़ा रहा था। यह एक ऐसा वक्त था जब बच्चे आमतौर पर घर के बाहर खेलते हैं और पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं। लेकिन, किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक साधारण सी खेल ने इतनी भयंकर दुर्घटना का रूप ले लिया।
घटना के दौरान अभिनव का ध्यान पूरी तरह से पतंग पर था। अचानक, उसकी पतंग हाईटेंशन तार के पास जा पहुंची और जैसे ही वह तार से टकराई, अभिनव को तेज करंट लगा और वह बुरी तरह झुलस गया। बताया जाता है कि तार का उंचाई कम था, जिससे बच्चों के लिए वह क्षेत्र खतरनाक साबित हो सकता था।
क्या हैं हाईटेंशन तारों की जाल में बच्चों का फंसा होना?
हाईटेंशन तारों का हमारे आसपास मौजूद होना एक आम बात है, लेकिन इनसे जुड़े खतरे को नजरअंदाज करना कहीं न कहीं हादसों को न्योता दे सकता है। खासकर, बच्चों को अक्सर इन तारों का खतरा होता है, जो खेलने या पतंग उड़ाने के दौरान इनसे टकरा जाते हैं। पिछले कुछ सालों में कई बार ऐसे हादसे सामने आए हैं, जहां बच्चों ने खेलते हुए इन तारों की चपेट में आकर अपनी जान गवा दी या फिर गंभीर रूप से घायल हुए।
इतिहास की बात करें तो इस तरह के हादसे पहले भी हुए हैं। 1990 के दशक में भी झारखंड राज्य में कई दुर्घटनाएं हुईं थीं, जहां खेलते हुए बच्चे हाईटेंशन तारों की चपेट में आकर झुलस गए थे। हालांकि, समय के साथ प्रशासन ने कुछ सुरक्षा उपाय अपनाए हैं, लेकिन अब भी कई स्थानों पर इन तारों का खतरा बच्चों के लिए बरकरार है।
बच्चे की हालत और इलाज
घटना के तुरंत बाद, उसे गंभीर अवस्था में टीएमएच (Tata Main Hospital) भेजा गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। अस्पताल के डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चे की हालत गंभीर है, लेकिन उपचार के बाद कुछ उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, इस हादसे के बाद इलाके में शोक का माहौल बना हुआ है। स्थानीय लोग इस हादसे को लेकर प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
सरकार और प्रशासन से सवाल
इस हादसे ने प्रशासन और सरकार को एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या बच्चों की सुरक्षा के लिए उंचे हाईटेंशन तारों को सुरक्षित किया गया है? क्या उनके आस-पास के क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों का पालन किया जा रहा है? क्या बच्चों के खेलने के स्थानों के पास ऐसी खतरनाक चीजें नहीं होनी चाहिए? इन सवालों का जवाब ढूंढना जरूरी है ताकि भविष्य में कोई और बच्चा इस प्रकार के हादसे का शिकार न हो।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सुरक्षा के मामलें में लापरवाही कितनी खतरनाक हो सकती है। बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की जरूरत है, और इसके लिए सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। इस हादसे को ध्यान में रखते हुए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं भविष्य में ना घटें और हर बच्चा सुरक्षित रूप से अपना बचपन जी सके।
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