Jamshedpur Fraud: बिरसानगर में कुरियर कॉल से उड़ाए 2 लाख, WhatsApp स्कैम ने भी 2.20 लाख साफ किए!
जमशेदपुर में साइबर ठगों ने दो लोगों को शिकार बना कर उनके बैंक खातों से 4.20 लाख रुपये उड़ा लिए। कुरियर कंपनी और व्हाट्सएप मैसेज के जरिए ठगी की गई। पढ़ें पूरी कहानी।

जमशेदपुर – झारखंड के जमशेदपुर से एक बार फिर साइबर ठगी की चौंकाने वाली दो घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कुल मिलाकर 4.20 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। हैरानी की बात यह है कि ठगों ने अपनी स्क्रिप्ट इतनी चतुराई से तैयार की कि पढ़े-लिखे और सजग लोग भी इनके झांसे में आ गए।
पहला मामला बिरसानगर निवासी राजेश कुमार शर्मा का है। उन्होंने अंजनी कुरियर से एक पार्सल बुक कराया था। जब तय समय तक डिलीवरी नहीं हुई तो उन्होंने गूगल पर कुरियर कंपनी का कस्टमर केयर नंबर सर्च किया। यहीं से शुरू हुआ धोखाधड़ी का खेल।
जो नंबर उन्होंने गूगल से निकाला था, वह असली नहीं बल्कि फेक था। राजेश ने जैसे ही उस नंबर पर कॉल किया, कुछ देर बाद उसी नंबर से उनके पास कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को कुरियर कंपनी का प्रतिनिधि बताया और बड़ी विनम्रता से उनकी शिकायत दर्ज की।
फिर उसने एक लिंक भेजा और कहा कि आपकी कंप्लेंट को ट्रैक करने के लिए ₹5 का वेरिफिकेशन पेमेंट करना होगा। राजेश ने जैसे ही UPI से यह पेमेंट करने की कोशिश की, उसी लिंक के जरिए ठग ने उनका पासवर्ड ट्रेस कर लिया और खाते से पूरे 2 लाख रुपये निकाल लिए।
सिर्फ एक लिंक से उड़ गए लाखों – यही है नए दौर का ‘ठग्स ऑफ इंडिया’!
आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसी घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करना और सीधे कॉल करना, आज के समय में सबसे बड़ी चूक बन चुकी है। ठग फर्जी नंबर गूगल लिस्टिंग में डाल देते हैं और जैसे ही कोई कॉल करता है, झांसे में ले लेते हैं।
विजया गार्डेन में भी ‘WhatsApp Scam’ ने खेला बड़ा गेम
राजेश के केस से कुछ ही दिन बाद विजया गार्डेन के अभिषेक कुमार भी साइबर ठगी के शिकार हो गए। उन्हें व्हाट्सएप पर DCX नामक एक कंपनी का मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि "सिक्का खरीदें और मुनाफा पाएं"।
पहली नजर में यह मैसेज कुछ ज्यादा अजीब नहीं लगा। अभिषेक ने उस पर क्लिक किया और ‘Crypto Token’ जैसी स्कीम में पैसे लगाने का मन बना लिया। जैसे ही उन्होंने ऐप के जरिए रजिस्ट्रेशन किया और कुछ प्रोसेस पूरी की, उनके बैंक खाते से 2.20 लाख रुपये गायब हो गए।
बाद में जब उन्होंने उस व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की, तो वह नंबर बंद हो चुका था। पूरा मामला ठगी साबित हुआ और उन्होंने सीधे साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई।
क्यों हो रही हैं ऐसी ठगी की घटनाएं?
भारत में साइबर क्राइम का इतिहास बहुत पुराना नहीं है, लेकिन इंटरनेट के तेजी से बढ़ते उपयोग ने ठगों को नया प्लेटफॉर्म दे दिया है।
2005 के बाद से भारत में साइबर कानून तो बने, लेकिन ठगों की चालबाजियां उससे भी तेज़ निकलीं।
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पहले लॉटरी स्कैम हुआ करते थे,
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फिर आया फर्जी कॉल सेंटर घोटाला,
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और अब हम हैं UPI लिंक स्कैम और व्हाट्सएप इन्वेस्टमेंट स्कैम के दौर में।
सावधानी ही सुरक्षा है – क्या करें, क्या न करें
इन दोनों केसों में एक चीज़ कॉमन थी – जल्दबाज़ी और गूगल पर विश्वास।
साइबर पुलिस बार-बार चेतावनी देती है कि:
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किसी भी कस्टमर केयर नंबर को गूगल पर सर्च न करें।
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हमेशा कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट या ऐप का ही उपयोग करें।
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किसी अनजान लिंक पर क्लिक करके पेमेंट न करें।
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व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर मिले इन्वेस्टमेंट ऑफर से बचें।
क्या कर रही है साइबर पुलिस?
अभी तक इन दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और पुलिस साइबर टीम जांच कर रही है।
राजेश और अभिषेक दोनों की शिकायत साइबर थाना में दर्ज है। पुलिस का कहना है कि कुछ ट्रांजैक्शन IP ट्रेस किए गए हैं, और जांच जारी है।
हर क्लिक सोच समझकर करें!
जमशेदपुर की ये दो घटनाएं सिर्फ दो लोगों की कहानी नहीं हैं, बल्कि एक बड़ा अलार्म है।
क्लिक करने से पहले अब सोचना होगा, और हर नंबर, हर लिंक पर आंख बंद करके भरोसा करना खतरे से खाली नहीं।
तो अगली बार जब भी कोई व्हाट्सएप मैसेज या गूगल से मिला कस्टमर केयर नंबर दिखे – एक बार ठहर कर सोचें... कहीं आप भी अगला शिकार तो नहीं?
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