Jamshedpur Bail: सरयू राय को हाईकोर्ट से राहत, लेकिन केस में बड़े खुलासे से बढ़ी सियासी सरगर्मी!
झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय को अग्रिम जमानत दे दी, लेकिन मामला अभी खत्म नहीं हुआ। जानिए क्यों यह केस झारखंड की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।

जमशेदपुर: झारखंड की राजनीति में हलचल मचाने वाले सरयू राय केस में एक नया मोड़ आ गया है। झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय को अग्रिम जमानत दे दी है। लेकिन यह मामला सिर्फ जमानत तक सीमित नहीं है—इसके पीछे छुपी कहानी राजनीति, भ्रष्टाचार और सत्ता के टकराव की ओर इशारा कर रही है। आखिर क्या है यह पूरा मामला, और क्यों बढ़ रही है सियासी सरगर्मी?
सरयू राय पर क्या हैं आरोप?
यह मामला 2 मई 2022 को दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जब रांची के डोरंडा थाना में सरकारी दस्तावेज लीक करने का आरोप लगाते हुए सरयू राय के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इस मामले को स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव विजय वर्मा ने दर्ज कराया था, जिसमें आरोप था कि सरयू राय ने सरकारी गोपनीय दस्तावेजों को लीक कर दिया और इससे सरकारी काम में बाधा उत्पन्न हुई।
सरयू राय पर लगे धारा 409 और ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत आरोप काफी गंभीर थे। यह वही एक्ट है जिसके तहत अगर कोई सरकारी दस्तावेज बिना अनुमति के सार्वजनिक करता है, तो उसे कठोर सजा हो सकती है। लेकिन कोर्ट में इस केस की सुनवाई के दौरान, राजनीतिक साजिश और भ्रष्टाचार के बड़े दावे किए गए।
कैसे मिला सरयू राय को राहत?
सरयू राय ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए रांची कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, लेकिन फैसला सुरक्षित रखा गया था। अब जाकर झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। उनकी ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय और रणविजय कुमार ने कोर्ट में बहस की, जिसके बाद अपर न्यायायुक्त योगेश कुमार की अदालत ने फैसला सुनाया।
मामले की असली सच्चाई क्या है?
यह केस तब शुरू हुआ, जब मई 2022 में सरयू राय ने एक सनसनीखेज खुलासा किया। उन्होंने पत्रकारों को बताया था कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता समेत उनके कोषांग के 60 कर्मचारियों को अनियमित रूप से कोरोना प्रोत्साहन राशि दी गई थी।
इस मामले में 103 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का आरोप लगाया गया था। स्वास्थ्य विभाग की समिति ने पात्र कर्मचारियों की एक सूची तैयार की थी, जिसमें 94 नाम शामिल थे। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के कोषांग ने इसमें 60 और नाम जोड़कर लिस्ट भेज दी।
सरयू राय के खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव विजय वर्मा ने ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई। आरोप लगाया गया कि सरयू राय ने गोपनीय दस्तावेजों को लीक कर दिया, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित हुआ।
क्या यह राजनीतिक साजिश है?
विश्लेषकों का मानना है कि यह पूरा मामला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि राजनीतिक साजिश से जुड़ा हो सकता है। सरयू राय, जो पहले बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं, बाद में पार्टी से अलग हो गए और स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।
उनका बन्ना गुप्ता और सत्ताधारी गठबंधन से टकराव जगजाहिर है। ऐसे में क्या यह मामला उन्हें फंसाने की कोशिश थी, या फिर सच में नियमों का उल्लंघन हुआ था? इस पर बहस जारी है।
अब आगे क्या होगा?
- सरयू राय को मिली जमानत से क्या यह केस कमजोर हो गया है?
- क्या हाईकोर्ट के फैसले से उन्हें राजनीतिक बढ़त मिलेगी?
- 103 करोड़ की अनियमितता में कौन-कौन शामिल है? क्या आगे और नाम सामने आएंगे?
इस केस के कई पहलू अभी भी सुलझने बाकी हैं। लेकिन एक बात तय है—झारखंड की राजनीति में यह मामला आने वाले दिनों में और बड़ा मोड़ ले सकता है।
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