Ranchi Meeting: राज्यपाल और CM हेमंत सोरेन की मुलाकात में हजारीबाग हिंसा पर सख्त रुख, बढ़ा सियासी दबाव!
रांची में राज्यपाल और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुलाकात में हजारीबाग हिंसा पर चर्चा। राज्यपाल ने पेसा कानून जल्द लागू करने का दबाव बनाया। जानिए इस बैठक का पूरा सियासी निहितार्थ।
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रांची: झारखंड की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की राजभवन में हुई मुलाकात को शिष्टाचार भले ही बताया जा रहा हो, लेकिन इसके पीछे कई अहम मुद्दे छुपे थे। खासतौर पर हजारीबाग हिंसा और पेसा कानून को लेकर हुई चर्चा ने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है।
हजारीबाग हिंसा पर राज्यपाल ने क्यों जताई चिंता?
महाशिवरात्रि के दिन हजारीबाग में हुई हिंसा के बाद से झारखंड की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में राज्यपाल ने खुद पहल करते हुए मुख्यमंत्री से विस्तृत जानकारी मांगी। उन्होंने साफ निर्देश दिए कि दोषियों पर निष्पक्ष कार्रवाई हो और कोई भी एकतरफा निर्णय न लिया जाए।
राज्यपाल की इस सख्ती को लेकर सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है। क्या राज्यपाल सरकार पर दबाव बना रहे हैं? क्या झारखंड में कानून-व्यवस्था को लेकर नया संकट खड़ा हो सकता है? इन सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं।
पेसा कानून पर क्यों गरमाई बहस?
झारखंड में आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए पेसा कानून (PESA Act) बेहद अहम माना जाता है। यह कानून आदिवासी इलाकों में ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार देने की बात करता है। लेकिन झारखंड सरकार अभी तक इसे पूरी तरह लागू नहीं कर पाई है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से इस देरी को लेकर सवाल किया और जल्द से जल्द नियमावली बनाने का निर्देश दिया। जानकारों का कहना है कि राजभवन की ओर से सरकार पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, ताकि पेसा कानून लागू करने में हो रही देरी को खत्म किया जा सके।
हजारीबाग हिंसा का पूरा मामला क्या है?
महाशिवरात्रि के दिन हजारीबाग में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी। इसके बाद इलाके में भारी तनाव फैल गया। कई गाड़ियों में आग लगा दी गई, तोड़फोड़ और पथराव की घटनाएं हुईं। हालात बिगड़ने के बाद प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा और इंटरनेट सेवाएं भी बंद करनी पड़ीं।
पुलिस ने अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन राज्यपाल का साफ कहना है कि कोई भी कार्रवाई एकतरफा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से सभी पक्षों की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने को कहा है।
क्या झारखंड में बढ़ेगा राजनीतिक तनाव?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले ही कई कानूनी मामलों का सामना कर रहे हैं। अब हजारीबाग हिंसा और पेसा कानून को लेकर बढ़ता दबाव सरकार के लिए नई चुनौती बन सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि राज्यपाल और सरकार के बीच तनाव और बढ़ सकता है, खासकर अगर पेसा कानून को जल्द लागू नहीं किया गया। झारखंड में आदिवासी राजनीति का असर हमेशा से गहरा रहा है, और यह मुद्दा आगामी चुनावों में बड़ा राजनीतिक विषय बन सकता है।
आगे क्या होगा?
अब सबकी नजरें इस पर हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हजारीबाग हिंसा और पेसा कानून पर क्या निर्णय लेते हैं। क्या सरकार राजभवन के दबाव में आकर पेसा कानून को जल्द लागू करेगी? क्या हजारीबाग हिंसा में निष्पक्ष जांच होगी?
इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे, लेकिन इतना तय है कि झारखंड की राजनीति में यह घटनाक्रम नया मोड़ ला सकता है।
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