इसरो ने किया EOS-08 सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण: जानिए कैसे बदलेगा यह भारत की अंतरिक्ष कहानी!
इसरो ने शुक्रवार को अपने तीसरे और अंतिम विकासात्मक उड़ान में छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-D3 से EOS-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया। जानिए इस मिशन की खासियत और इसके गगनयान मिशन से कनेक्शन।
इसरो का धमाकेदार कमाल! EOS-08 सैटेलाइट के साथ अंतरिक्ष में फहराया भारतीय परचम, जानिए कैसे जुड़ेगा ये मिशन गगनयान से!
भारत की अंतरिक्ष यात्रा में शुक्रवार का दिन एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने तीसरे और अंतिम विकासात्मक उड़ान में EOS-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया। सुबह 9:17 बजे, आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से इस छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-D3 ने उड़ान भरी और 475 किलोमीटर की सर्कुलर कक्षा में EOS-08 सैटेलाइट और SR-0 DEMOSAT को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
क्या है Small Satellite Launch Vehicle?
इसरो के छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) को खासतौर पर 10 से 500 किलोग्राम के बीच के छोटे सैटेलाइट्स को 500 किलोमीटर की लो अर्थ ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है। EOS-08 मिशन इसरो के Microsat/IMS-1 प्लेटफॉर्म पर आधारित एक अनूठा मिशन है।
इसरो के अनुसार, LV-D3-EOS-08 मिशन के दो मुख्य उद्देश्य हैं: एक माइक्रोसैटेलाइट विकसित करना और ऐसे पेलोड इंस्ट्रूमेंट्स तैयार करना जो इस माइक्रोसैटेलाइट बस के साथ संगत हो सकें। इस मिशन के तहत EOS-08 सैटेलाइट तीन पेलोड्स के साथ भेजा गया है, जो विभिन्न प्रयोगों और डेटा संग्रह के लिए इस्तेमाल होंगे।
मिशन के प्रमुख पेलोड्स और उनकी खासियत
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इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (EOIR):
यह पेलोड मिड-वेव IR (MIR) और लॉन्ग-वेव IR (LWIR) बैंड्स में इमेजेस कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह पेलोड दिन और रात दोनों समय में काम करता है, और उपग्रह-आधारित निगरानी, आपदा निगरानी, पर्यावरण अवलोकन, आग की पहचान, ज्वालामुखी गतिविधि की ट्रैकिंग, और औद्योगिक व पावर प्लांट घटनाओं की निगरानी के लिए डेटा प्रदान करता है। -
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम - रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R):
यह पेलोड GNSS-R-आधारित रिमोट सेंसिंग तंत्र का उपयोग करता है, जो समुद्र सतह की हवा का विश्लेषण, मिट्टी की नमी का आकलन, हिमालय क्षेत्र में क्रायोस्फीयर अध्ययन, बाढ़ की पहचान, और अंतर्देशीय जलाशयों की पहचान के लिए इस्तेमाल होगा। -
SiC UV डोसिमीटर:
यह पेलोड गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल के व्यूपोर्ट पर UV इर्रेडिएंस की निगरानी करता है और गामा विकिरण के लिए एक हाई-डोज अलार्म सेंसर के रूप में कार्य करता है।
गगनयान मिशन से कैसे जुड़ा है ये मिशन?
इसरो का गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा, जो निचली पृथ्वी कक्षा में मानव को भेजने की कोशिश करेगा। EOS-08 के साथ भेजा गया SiC UV डोसिमीटर पेलोड गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल की UV इर्रेडिएंस की निगरानी करेगा। यह पेलोड इस मिशन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह उच्च विकिरण स्तर की स्थिति में अलार्म ट्रिगर करेगा, जिससे क्रू को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
गगनयान मिशन के तहत मानवरहित परीक्षण उड़ान 2024 के अंत तक शुरू होने की संभावना है। इसरो के इस महत्त्वाकांक्षी मिशन की सफलता के लिए EOS-08 का यह सफल प्रक्षेपण एक महत्वपूर्ण कदम है।
इसरो का एक और इतिहास रचने की तैयारी
इसरो के लिए यह दिन केवल एक मिशन की सफलता का नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती ताकत का प्रतीक है। इसरो लगातार नए आयाम छू रहा है और गगनयान मिशन के साथ भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में अपनी धाक जमाने के लिए तैयार है।
इसरो की इस सफलता से देशवासियों के दिल में गर्व और उम्मीद की एक नई किरण जगी है। जब भी हम अपने सिर को उठाकर आकाश की ओर देखते हैं, तो वहां हमें इसरो की सफलता की कहानी सुनाई देती है। EOS-08 सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण इस दिशा में एक और बड़ा कदम है।
SSLV-D3/EOS-08 Mission
Tracking images ???? pic.twitter.com/1TSVx19ZDk — ISRO (@isro) August 16, 2024
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