भारत के तीन नए आपराधिक कानून: क्या बदलाव आए और उनका प्रभाव
नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय प्रणाली को आधुनिक और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास हैं। हालांकि, इनके सफल कार्यान्वयन के लिए पुलिस बल का आधुनिकीकरण और सभी संबंधितों का उचित प्रशिक्षण आवश्यक है। नए कानूनों के लागू होने से अपराधियों के लिए कानून का पालन करना और अधिक कठिन हो जाएगा, जिससे समाज में न्याय और सुरक्षा की भावना बढ़ेगी।
जुलाई 2024 से, देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। ये बदलाव भारतीय न्याय प्रणाली को सुधारने के उद्देश्य से किए गए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता ममता सिंह ने शार्प भारत के लिए इन कानूनों की बारीकियों और उनके संभावित प्रभावों पर रोशनी डाली है। आइए जानें कि इन नए कानूनों में क्या बदलाव हैं और ये हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करेंगे।
भारतीय न्याय संहिता (BNS)
163 साल पुराने भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू हो गई है। इस नए कानून के तहत:
- दोषियों को सजा के तौर पर सामाजिक सेवा करनी होगी।
- शादी का धोखा देकर यौन संबंध बनाने पर 10 साल की सजा और जुर्माना का प्रावधान है।
- संगठित अपराध जैसे अपहरण, डकैती, गाड़ी की चोरी, कॉन्ट्रेक्ट किलिंग, आर्थिक अपराध, साइबर क्राइम के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्यों पर भी कड़ी सजा दी जाएगी।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
1973 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) ने ले ली है। इस कानून में प्रक्रियात्मक सुधार किए गए हैं:
- पहली बार अपराधी पाए जाने पर, अधिकतम सजा का एक तिहाई पूरा करने के बाद जमानत प्राप्त की जा सकती है।
- विचाराधीन कैदियों के लिए तुरंत जमानत पाना मुश्किल हो जाएगा, खासकर आजीवन कारावास की सजा पाने वालों के लिए।
- 7 साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फॉरेंसिक जांच अनिवार्य होगी।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)
1872 के साक्ष्य अधिनियम की जगह अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू हो गया है। इस नए कानून में:
- इलेक्ट्रॉनिक सबूत को लेकर नियमों का विस्तार किया गया है।
- कोर्ट को अब इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की विस्तृत जानकारी देनी होगी।
विशेषज्ञों की राय और चुनौतियाँ
वरिष्ठ अधिवक्ता ममता सिंह के अनुसार, ये नए कानून भारतीय न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार लाएंगे, लेकिन इनका प्रभावी क्रियान्वयन एक बड़ी चुनौती होगी। न्याय प्रणाली पहले से ही तनाव में है और नए कानूनों को आत्मसात करने में समय लगेगा। पुलिस बल और अन्य संबंधित एजेंसियों के लिए व्यापक प्रशिक्षण आवश्यक होगा|
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