Gorakhpur Protest: अधिवक्ता से विवाद के बाद थाने में अपराधी की रिहाई, अधिवक्ताओं ने उठाई कड़ी आपत्ति

गोरखपुर में अधिवक्ता रविंद्र धर दुबे से विवाद के बाद कैंट थाने में अपराधी को रिहा किए जाने पर अधिवक्ताओं का गुस्सा फूटा। जानिए क्यों उन्होंने एसपी सिटी को ज्ञापन सौंपा।

Nov 22, 2024 - 13:05
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Gorakhpur Protest: अधिवक्ता से विवाद के बाद थाने में अपराधी की रिहाई, अधिवक्ताओं ने उठाई कड़ी आपत्ति

गोरखपुर :  गोरखपुर के दीवानी न्यायालय परिसर में एक हृदयविदारक और सनसनीखेज घटना घटी, जब कुछ मुवक्किलों ने अधिवक्ता रविंद्र धर दुबे से विवाद कर लिया, और मामले ने संगीन रूप ले लिया। यह घटना 21 नवंबर, 2024 को हुई थी, जिसके बाद कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि, इस मामले में अधिवक्ताओं का गुस्सा तब बढ़ गया जब उन्हें जानकारी मिली कि संगीन धाराओं में दर्ज होने के बावजूद, अपराधी को थाने से ही रिहा कर दिया गया। 

विवाद के बाद का बवाल

यह घटना गोरखपुर के दीवानी न्यायालय परिसर में उस वक्त घटी जब मुवक्किलों और अधिवक्ता के बीच विवाद बढ़ गया।

  • विवाद इतना बढ़ा कि मामला थाने तक पहुंच गया, जहां धारा 307 (मर्डर अटेम्प्ट) जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
  • लेकिन यह स्थिति तब बदली जब अपराधी को थाने में ही छोड़ दिया गया, जिसके बाद अधिवक्ताओं में गुस्से का माहौल बन गया।
  • अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने न्याय की प्रक्रिया का मजाक उड़ाया और अपराधी को बचाने के लिए गड़बड़ी की।

अधिवक्ताओं का विरोध प्रदर्शन

इस घटना के बाद, गोरखपुर के अधिवक्ताओं ने कड़ा विरोध जताया।

  • उन्होंने जुलूस निकालकर अपनी नाराजगी का इज़हार किया और एसपी सिटी अभिनव त्यागी को ज्ञापन सौंपा।
  • ज्ञापन में उन्होंने मांग की कि कैंट थाना प्रभारी को निलंबित किया जाए, क्योंकि उनकी लापरवाही के कारण अपराधी को थाने से रिहा किया गया।
  • अधिवक्ताओं ने इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की भी मांग की है, ताकि न्याय व्यवस्था पर विश्वास बना रहे।

क्या है पुलिस का पक्ष?

पुलिस की तरफ से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने इस घटना की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच शुरू कर दी है।

  • पुलिस का कहना है कि मामला दरअसल जमानत से जुड़ा था, और अपराधी को कानूनी प्रक्रिया के तहत रिहा किया गया।
  • हालांकि, अधिवक्ताओं का मानना है कि यह एक साज़िश के तहत किया गया और पुलिस ने न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया।

गोरखपुर में बढ़ता अपराध और न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल

इस घटना ने गोरखपुर में कानून व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • अधिवक्ताओं का आरोप है कि पुलिस और न्यायिक प्रणाली में तालमेल की भारी कमी है, जिससे अपराधियों को बचने का मौका मिल रहा है।
  • कई लोग इस घटना को पिछले कुछ महीनों में बढ़े हुए अपराधीकरण का हिस्सा मानते हैं, जो गोरखपुर शहर में न्याय और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।

क्या चाहते हैं अधिवक्ता?

अधिवक्ताओं का कहना है कि इस घटना के माध्यम से उन्हें यह संदेश गया है कि अगर पुलिस और न्यायिक संस्थाएं सही तरीके से काम नहीं करेंगी, तो अपराधियों के हौसले और बढ़ेंगे।

  • उन्होंने सख्त कदम उठाने की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह के मामलों में अपराधियों को बचाने की कोशिश न हो।
  • अधिवक्ताओं ने गोरखपुर में कानून व्यवस्था को सुधारने की भी मांग की, ताकि जनता का विश्वास फिर से पुलिस और न्यायालय पर बने।

गोरखपुर का बढ़ता विरोध और क्या होगा अगला कदम?

अब यह देखना बाकी है कि एसपी सिटी अभिनव त्यागी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

  • अगर इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती, तो अधिवक्ताओं का गुस्सा और बढ़ सकता है, जो कि पूरे गोरखपुर जिले में विरोध प्रदर्शन की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
  • वहीं पुलिस विभाग की ओर से मामले की जांच जारी है, लेकिन यह साफ है कि इस घटना ने गोरखपुर में सुरक्षा और न्याय प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव डाला है।

क्या आपको लगता है कि पुलिस और न्यायिक प्रणाली को और सख्त होना चाहिए? क्या इस घटना से न्याय व्यवस्था पर असर पड़ेगा? अपनी राय कमेंट में जरूर साझा करें।

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