ग़ज़ल - 9 - रियाज खान गौहर, भिलाई
खुश्बू है उनकी जुल्फ की तन मन के आसपास मैं क्यों फिरूं बताईये गुलशन के आसपास ........
गजल
खुश्बू है उनकी जुल्फ की
तन मन के आसपास
मैं क्यों फिरूं बताईये
गुलशन के आसपास
रस्में जहेज मौत की
सूरत में आजकल
मण्ड़ला रही है नाग सी
दुल्हन के आसपास
तुम हाल पूछ लोगे तो
मिल जायेगा सुकूं
दिल ड़ोलता है सैकड़ों
उलझन के आसपास
फूलों की टोकरी में
ना रख लेगी तोड़कर
रहते हो किस उम्मीद पे
मालन के आसपास
वो चशमें इल्तेफात वो
लुतको करम नहीं
क्यों दर्द बनके बस गये
धड़कन के आसपास
बचपन गया शबाब गया
पीरी का दौर है
है हाल अपना मौत के
रहजन के आसपास
मुद्दत से कोई खत है
ना गौहर कोई खबर
हम कब मिले थे सोंचिये
सावन के आसपास
गजलकार
रियाज खान गौहर , भिलाई
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