ग़ज़ल - 8 - रियाज खान गौहर, भिलाई

करें मिलके कोशिश अगर धीरे धीरे  मिटेगी ये नफरत मगर धीरे धीरे ........

Aug 11, 2024 - 16:17
Aug 11, 2024 - 19:20
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ग़ज़ल - 8 - रियाज खान गौहर, भिलाई
ग़ज़ल - 8 - रियाज खान गौहर, भिलाई

गजल 

करें मिलके कोशिश अगर धीरे धीरे 
मिटेगी ये नफरत मगर धीरे धीरे 

मिलेगा ना धोका कभी यार तुमको 
चलोगे समझ सोंच कर धीरे धीरे

सितम पे सितम कर मगर याद रखना 
असर सब्र का होगा पर धीरे धीरे 

मोहब्बत शराफत नसीहत की बातें 
दिलों पर करेगी असर धीरे धीरे 

किसी की दुआ काम आनें लगी है 
खुशी आ रही है मेरे घर धीरे धीरे 

यकीं उसपे रखना मगर लौ लगाकर 
मिलेगा तुम्हें सब मगर धीरे धीरे 

अकेला ही चल तू खुदा साथ है जब 
तो कट जायेगा फिर सफर धीरे धीरे 

हुआ आज गौहर पे उनका करम क्यों 
समझ पाओगे तुम मगर धीरे धीरे 

गजलकार 
रियाज खान गौहर भिलाई 

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।