ग़ज़ल - 10 - रियाज खान गौहर, भिलाई
नजर से नजर तुम मिलाकर तो देखो मुझे अपनें दिल में बसाकर तो देखो ..........
गजल
नजर से नजर तुम मिलाकर तो देखो
मुझे अपनें दिल में बसाकर तो देखो
मिलें हाथ तो फायदा कुछ नहीं
मिलेगा सुकूं दिल मिलाकर तो देखो
ये किसका है शायद पता चल सके कुछ
लहू को लहू से मिलाकर तो देखो
मिरे दर्द का भी कुछ अहसास होगा
कभी अपनें घर को जलाकर तो देखो
तुम्हारी बहू भी है बेटी किसी की
कभी उसको बेटी बनाकर तो देखो
तुम्हें अपनी मेहनत का फल भी मिलेगा
बदन से पसीना बहाकर तो देखो
बुराई के बदले बुराई मिलेगी
मिरी बात ये आजमा कर तो देखो
हर इक मोड़ पर साथ देगा ये गौहर
कभी उसको अपना बनाकर तो देखो
गजलकार
रियाज खान गौहर, भिलाई
What's Your Reaction?