ग़ज़ल - 13 - रियाज खान गौहर, भिलाई
साथ मिलता रहे आपका रात दिन बस यही मांगता हूं दुआ रात दिन ........
गजल
साथ मिलता रहे आपका रात दिन
बस यही मांगता हूं दुआ रात दिन
हम तो करते ही आये वफा रात दिन
हम से रहते वो फिर भी खफा रात दिन
हम सफाई न देंगे उन्हे कोई भी
कहने वाले कहे बेवफा रात दिन
जब मुसीबत पड़ी याद वो आ गया
रट लगाने लगे या खुदा रात दिन
दूर उनसे रहो तुम किनारा करो
जो लड़ाते हमें रहनुमां रात दिन
इक झलक तुम दिखाकर कहां छुप गये
मैं तुम्हें ढ़ूढता फिर रहा रात दिन
और तुम पे यकीं मुझसे होता नहीं
हर कदम पे जो धोका दिया रात दिन
ऐ खुदा तू नें गौहर को गौहर किया
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया रात दिन
गजलकार
रियाज खान गौहर भिलाई
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