ग़ज़ल - 12 - रियाज खान गौहर, भिलाई
कौन उगंली उठाता मिरी बात पर आप राजी हुए जब खरी बात पर .......
गजल
कौन उगंली उठाता मिरी बात पर
आप राजी हुए जब खरी बात पर
आपके सामनें मेरी अवकात क्या
तबसिरा मैं करूं आपकी बात पर
बेवजह हम किसी से तो लगते नहीं
मर मिटेंगे मगर आन की बात पर
कुछ सफाई में अपनी कहूं भी तो क्या
जब यकीं ही नही है मिरी बात पर
घर के आंगन में दीवार उठानी पड़ी
बात इतनी बढ़ी थी किसी बात पर
बात छोटी सी थी मसअला बन गया
लोग तूफान उठाऐ उसी बात पर
सच को खामोश रहकर सुना किजिये
चुप ना हरगिज रहे झुट की बात पर
सब्र का साथ गौहर नें छोड़ा नहीं
वो ना बिफरा कभी भी किसी बात पर
गजलकार
रियाज खान गौहर, भिलाई