Garhwa Tragedy: तालाब में डूबीं चार लड़कियां, छठी की खुशियां पल में मातम में बदलीं

गढ़वा जिले के हरैया गांव में तालाब में डूबने से चार युवतियों की दर्दनाक मौत हो गई। छठी कार्यक्रम में शामिल होने आई थीं, एक पल में खुशियां मातम में बदल गईं।

Apr 11, 2025 - 16:08
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Garhwa Tragedy: तालाब में डूबीं चार लड़कियां, छठी की खुशियां पल में मातम में बदलीं
Garhwa Tragedy: तालाब में डूबीं चार लड़कियां, छठी की खुशियां पल में मातम में बदलीं

गढ़वा जिले के हरैया गांव, जो कभी अपनी सादगी और त्योहारों की गर्मजोशी के लिए जाना जाता था, आज गहरे मातम में डूबा है। शुक्रवार को हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। गांव के नदी आरा टोला स्थित तालाब में स्नान करने गईं चार युवतियों की डूबकर मौत हो गई। ये चारों बेटियां, जिनमें से दो तो छठी कार्यक्रम के सिलसिले में आई थीं, अब कभी अपने घर नहीं लौटेंगी।

कौन थीं ये बेटियां?

मृतकों में शामिल हैं:

  • लाडो सिंह (10 वर्ष) – हरैया गांव निवासी चंदन सिंह की पुत्री

  • अंकिता सिंह (22 वर्ष) – जितेंद्र सिंह की पुत्री

  • रोमा सिंह (18 वर्ष) – पलामू के पांकी थाना क्षेत्र के पगार निवासी

  • मीठी सिंह (15 वर्ष) – लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के पूर्णाडीह निवासी

मीठी और रोमा खासतौर पर अपने रिश्तेदारों के यहां छठी कार्यक्रम में शामिल होने आई थीं। त्योहार का माहौल था, घर में चहल-पहल थी, लेकिन किसी को क्या पता था कि एक पल में सबकुछ बदल जाएगा।

घटना कैसे घटी?

शुक्रवार को ये चारों बच्चियां, मीठी का भाई और कुछ अन्य दोस्त पास के तालाब में स्नान करने गए थे। अचानक गहरे पानी में उतरते वक्त चारों लड़कियां एक-एक कर डूबने लगीं। मीठी का भाई किसी तरह खुद को बचाकर तेज़ी से घर पहुंचा और मदद के लिए चीखता हुआ बुलावा दिया, लेकिन जब तक लोग तालाब तक पहुंचते, तब तक सब खत्म हो चुका था।

अस्पताल में मिली मौत की पुष्टि

परिजनों ने आनन-फानन में सभी को गढ़वा सदर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने चारों को मृत घोषित कर दिया। यह खबर सुनते ही अस्पताल में कोहराम मच गया। किसी ने अपनी बच्ची को खोया, किसी ने अपनी बहन, और किसी ने अपनी पोती।

गढ़वा में पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

गढ़वा जिले और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में तालाबों में डूबने की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं। गर्मियों में या त्योहारों के दौरान जब बच्चे और युवा तालाबों की ओर आकर्षित होते हैं, तब अनजान गहराई अक्सर काल बन जाती है। लेकिन अफसोस की बात ये है कि इन हादसों से कोई सबक नहीं लिया जाता। न तो तालाबों के किनारे चेतावनी बोर्ड होते हैं और न ही सुरक्षा के इंतजाम।

छठी की खुशियां मातम में बदलीं

यह घटना उस समय हुई जब परिवार और आस-पड़ोस छठी के खुशियों में डूबे हुए थे। जैसे ही खबर फैली, पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। छठी का प्रसाद अभी चढ़ाया भी नहीं गया था कि चार चिताएं सज चुकी थीं

अब जरूरी है सावधानी और जिम्मेदारी

गढ़वा जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों और युवाओं को तालाबों के खतरों से अवगत कराना और स्थानीय प्रशासन को सुरक्षा उपाय लागू करना बेहद ज़रूरी है। एक छोटी सी लापरवाही ने चार घरों से हंसती-खेलती बेटियों को छीन लिया।


गढ़वा की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं है, यह एक चेतावनी है। ये चार बेटियां अब वापस नहीं आ सकतीं, लेकिन अगर अब भी हम जागे नहीं, तो अगला नंबर किसी और की मासूम बच्ची का हो सकता है। सवाल है – क्या प्रशासन और समाज मिलकर ऐसे हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।